4/26/2011

"ख्वाब जैसे ख्याल होते हैं"


ख्वाब जैसे ख्याल होते हैं
इश्क में ये कमाल होते हैं

एक नमूना हो ज़िन्दगी जिनकी
लोग वो बे मिसाल होते हैं

गम अजब हैं यहाँ सितारों के
चाँद को भी मलाल होते हैं

शब् की तनहाइयों में अक्सर ही
जलवा-गर सब ख्याल होते हैं

इश्क बर्बाद हो गया कैसे
हुस्न से ये सवाल होते हैं

उनकी फुरक़त में रात दिन "सीमा"
आजकल हम निढाल होते हैं


15 comments:

  1. इश्क बर्बाद हो गया कैसे
    हुस्न से ये सवाल होते हैं

    -क्या बात है!!!

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  2. अरे वाह! आप गजल गली में आ गईं!
    वाह बहुत खूब!

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  3. aapki kalam se nikle kar lafz....
    bas kamaal...kamaal...kamaal hote hain!!

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  4. बहुत रोचक और सुन्दर रचना

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  5. सीमा जी प्रणाम!

    "गम अजब हैं यहाँ सितारों के
    चाँद को भी मलाल होते हैं"

    क्या बात कही है.... वाह वाह !

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  6. इश्क बर्बाद हो गया कैसे
    हुस्न से ये सवाल होते हैं
    बहुत ही अच्छा लिखा है पूरी ग़ज़ल ही अच्छी है वैसे तो मगर ये शेर मुझे बहुत ही अच्छा लगा

    अक्षय-मन "!!कुछ मुक्तक कुछ क्षणिकाएं!!" से

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  7. एक नमूना हो ज़िन्दगी जिनकी
    लोग वो बे मिसाल होते हैं

    गम अजब हैं यहाँ सितारों के
    चाँद को भी मलाल होते हैं

    बहुत खूबसूरत गज़ल

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  8. Is gajal ko padhkar bahut achha laga..har sher khubsurat...majmoon usue bhi jyada khubsurat....
    इश्क बर्बाद हो गया कैसे
    हुस्न से ये सवाल होते हैं
    ek dum jhakkash( marvellous)laga...
    aapka ye sher aap ke hi liye:;;;;;;;

    ek namuna ho har rachna jinki,
    aise rachnakaar bemisal hote hain..

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  9. बहुत ही खूबसूरत गज़ल, लेकिन आप आज कल कहां रहती हे? बहुत दिनो बाद देखा.

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  10. इश्क बर्बाद हो गया कैसे
    हुस्न से ये सवाल होते हैं ...

    बहुत खूब ... आज तो कमाल ही किया है आपने .. इतनी लाजवाब ग़ज़ल पहली बार पढ़ रहा हूँ आपके ब्लॉग पर ... आपकी कविताओं में जो मासूम एहसास और गहरे जज्बात होते हैं ... वो इस ग़ज़ल में भी हैं ...

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  11. इश्क बर्बाद कैसे हो गया ...
    हुस्न से सवाल होते हैं ...
    क्या बात !

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  12. इश्क बर्बाद हो गया कैसे
    हुस्न से ये सवाल होते हैं

    sher with a new approach,very good.

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  13. गम अजब हैं यहाँ सितारों के
    चाँद को भी मलाल होते हैं

    शब् की तनहाइयों में अक्सर ही
    जलवा-गर सब ख्याल होते हैं


    इश्क़ में सर नहीं गंवाते हम,
    तेरे दिल की किताब हो जाते
    ढूंढते आप पर न मिलता मैं,
    पल में सारे हिसाब हो जाते

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  14. शब् की तनहाइयों में अक्सर ही
    जलवा-गर सब ख्याल होते हैं
    क्या क्या पैरहन बख्शे हैं आपने ग़ज़ल को शानदार और जानदार दिलकश अलफ़ाज़
    मुबारकबाद आपको

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