'हवाओं के जेवर' शीर्षक ही अपने आप में एक सम्पूर्ण कविता है.जिसे देख कर मै सोचता ही रह गया.....हवाओं के जेवर मतलब .....जब हवाएं चलती हैं तो बहुत दिलकश संगीत सा बजता है,,,,,,,,,, किसी पाजेब सी की आवाज़ या पायल के घुँघरू ......या किसी के कंगन खनकने की आवाज़....कुछ भी हो कुछ न कुछ तो है ही...इतनी सुन्दर उपमा .... शीर्षक सहित दस पंक्तियों की यह कविता ......ऐसा नहीं लगता की जैसे दस रोमांटिक नावेलेट हो? अभिभूत कर दिया !
सीमा जी "हवाओं के जेवर" एक छोटी नज़्म बेहद दिलकश और खुबसूरत अहसास की तर्जुमानी करते हुए हमें उन पगडंडियों की यात्रा कराती है........ जिनको हमने कभी छुआ ही नहीं मन के अन्दर की भावनाओं को आपने अपने शब्दों से जो अभिव्यक्ति दी है वो काबिले सिताइश है....... और यकीनन कुदरत के नज़ारों से आपने जो शब्द लिए हैं वो आप जैसा बाकमाल हुनरमंद और बेहतरीन फनकार ही कर सकता है.... ........ आपको इस बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए मेरे पास शब्दों की कमी है बहरहाल मेरी दाद कुबूल कीजिये.........वाह और जिंदाबाद
बहुत गहन रचना! वाह!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteवाह ... हवाओं के जेवर को चुराने का लाजवाब ख्याल है ... प्राकृति की गोद में क्या क्या है चुराने के लिए ...
ReplyDelete'हवाओं के जेवर' शीर्षक ही अपने आप में एक सम्पूर्ण कविता है.जिसे देख कर मै सोचता ही रह गया.....हवाओं के जेवर मतलब .....जब हवाएं चलती हैं तो बहुत दिलकश संगीत सा बजता है,,,,,,,,,, किसी पाजेब सी की आवाज़ या पायल के घुँघरू ......या किसी के कंगन खनकने की आवाज़....कुछ भी हो कुछ न कुछ तो है ही...इतनी सुन्दर उपमा ....
ReplyDeleteशीर्षक सहित दस पंक्तियों की यह कविता ......ऐसा नहीं लगता की जैसे दस रोमांटिक नावेलेट हो?
अभिभूत कर दिया !
फिर तो आपके चारो ओर प्रकृति नाच उठेगी, झूमकर।
ReplyDeleteवाह...!
अतुलनीय अभिव्यक्ति सीमा जी!
ReplyDeleteसीमा जी
ReplyDelete"हवाओं के जेवर" एक छोटी नज़्म बेहद दिलकश और खुबसूरत अहसास की तर्जुमानी करते हुए हमें उन पगडंडियों की यात्रा कराती है........ जिनको हमने कभी छुआ ही नहीं मन के अन्दर की भावनाओं को आपने अपने शब्दों से जो अभिव्यक्ति दी है वो काबिले सिताइश है....... और यकीनन कुदरत के नज़ारों से आपने जो शब्द लिए हैं वो आप जैसा बाकमाल हुनरमंद और बेहतरीन फनकार ही कर सकता है.... ........ आपको इस बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए मेरे पास शब्दों की कमी है बहरहाल मेरी दाद कुबूल कीजिये.........वाह और जिंदाबाद
BAHUT SHAANDAR RACHNA SEEMA JI NICE
ReplyDeleteA very beautiful poetry.
ReplyDeleteI am so fortunate to discover this blog.
ReplyDeleteVery good poetry...
Keep writing
बारिश के घुंघरू,--- हवाओं के जेबर---- वाह अद्भुत । शुभकामनायें।
ReplyDeletebahut khubsurat upmaayein prayog ki hein...bahaayee...
ReplyDeleteहवाओं के जेवर की खूबसूरती देख रहे हैं। जौहरी की तारीफ़ कर रहे हैं। :)
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