4/04/2011

" हवाओं के जेवर "


"हवाओं के जेवर "

मौसम के खजाने से
एक लम्हा बहारो का
दिल करता है चुरा लाऊं
बारिशों के घुंघरू
हवाओं के जेवर
शाखाओं की हंसी
फिजाओं की झालर
पगडंडियों की सांसो को
छु कर कभी देखा ही नहीं …..

13 comments:

  1. बहुत गहन रचना! वाह!

    ReplyDelete
  2. वाह ... हवाओं के जेवर को चुराने का लाजवाब ख्याल है ... प्राकृति की गोद में क्या क्या है चुराने के लिए ...

    ReplyDelete
  3. 'हवाओं के जेवर' शीर्षक ही अपने आप में एक सम्पूर्ण कविता है.जिसे देख कर मै सोचता ही रह गया.....हवाओं के जेवर मतलब .....जब हवाएं चलती हैं तो बहुत दिलकश संगीत सा बजता है,,,,,,,,,, किसी पाजेब सी की आवाज़ या पायल के घुँघरू ......या किसी के कंगन खनकने की आवाज़....कुछ भी हो कुछ न कुछ तो है ही...इतनी सुन्दर उपमा ....
    शीर्षक सहित दस पंक्तियों की यह कविता ......ऐसा नहीं लगता की जैसे दस रोमांटिक नावेलेट हो?
    अभिभूत कर दिया !

    ReplyDelete
  4. फिर तो आपके चारो ओर प्रकृति नाच उठेगी, झूमकर।

    वाह...!

    ReplyDelete
  5. अतुलनीय अभिव्यक्ति सीमा जी!

    ReplyDelete
  6. सीमा जी
    "हवाओं के जेवर" एक छोटी नज़्म बेहद दिलकश और खुबसूरत अहसास की तर्जुमानी करते हुए हमें उन पगडंडियों की यात्रा कराती है........ जिनको हमने कभी छुआ ही नहीं मन के अन्दर की भावनाओं को आपने अपने शब्दों से जो अभिव्यक्ति दी है वो काबिले सिताइश है....... और यकीनन कुदरत के नज़ारों से आपने जो शब्द लिए हैं वो आप जैसा बाकमाल हुनरमंद और बेहतरीन फनकार ही कर सकता है.... ........ आपको इस बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए मेरे पास शब्दों की कमी है बहरहाल मेरी दाद कुबूल कीजिये.........वाह और जिंदाबाद

    ReplyDelete
  7. I am so fortunate to discover this blog.
    Very good poetry...
    Keep writing

    ReplyDelete
  8. बारिश के घुंघरू,--- हवाओं के जेबर---- वाह अद्भुत । शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  9. bahut khubsurat upmaayein prayog ki hein...bahaayee...

    ReplyDelete
  10. हवाओं के जेवर की खूबसूरती देख रहे हैं। जौहरी की तारीफ़ कर रहे हैं। :)

    ReplyDelete

"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"