10/27/2010

"नसीब"


"नसीब"


कुछ सितारे
मचल के जिस पहर
रात के हुस्न पे दस्तक दें
निगोड़ी चांदनी भी लजाकर
समुंदर की बाँहों में आ सिमटे
हवाओं की सर्द ओढ़नी
बिखरे दरख्तों के शानों पे
उस वक़्त तू चाँद बन
फलक की सीढ़ी से फिसल जाना
चुपके से मेरी हथेलियों पर
वो नसीब लिख जाना
जिसकी चाहत में मैंने
चंद साँसों का जखीरा
जिस्म के सन्नाटे में
छुपा रखा है ...

31 comments:

  1. दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

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  2. मन में छिपी गहरी भावनाओं की बड़ी खूबसूरत अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें आपको

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  3. उस वक़्त तू चाँद बन
    फलक की सीढ़ी से फिसल जाना
    चुपके से मेरी हथेलियों पर
    वो नसीब लिख जाना

    Excellent!

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  4. कुछ कविताओं पर युगलबन्दी करने को मन करता है। कुछ ऐसे ही भाव मैंने एक कथा की आगे की कड़ियों के लिए सँजो रखे थे। अब बदलना पड़ेगा।
    नसीहत मिली की जल्दी जल्दी लिखना चाहिए। :)
    आज का दिन अच्छा होगा।
    ... दरख्तों से पत्ते फिर झरने लगे हैं।

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  5. "चुपके से मेरी हथेलियों पर वो नसीब लिख जाना" बेहद सुन्दर पंक्तियाँ.

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  6. @आदरणीय गिरिजेश राव जी, अब इसे संयोग मान कर ही तसल्ली देनी होगी..हा हा हा , मगर ये सच है ऐसे नाजुक भाव शायद हर सम्वेदनशील मन से उपजते होंगे...इसलिए ऐसा हुआ होगा. आपकी इस खुबसूरत अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    regards

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  7. सीमा जी कहाँ से इतने गहरे भाव लाती हैं। मुझे लगता है आप हर वक्त दिल के समन्दर मे डुबकी लगाती रहती हैं और जब कोई शब्द मोटी बना हाथ आ जाये तो झट से कागज़ पर सजा देती हैं। हर एक पँक्ति दिल को छूने वाली। शुभकामनायें।

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  8. dil ke taaron ko chhoo lene wali rachna Seema ji!

    ek haasya kavita likhi hai...aapka aashirwaad chahunga..

    http://shayarichawla.blogspot.com/

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  9. आप के पास तो खजाना हे जी सुंदर सुंदर लफ़जो का जिन्हे आप गजल ओर गीतो के रुप मे सजा कर हमे पढवाती हे, जबाब नही, बहुत सुंदर.
    धन्यवाद

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  10. seema jee
    namaskar !
    achchi abhivyakti hai .
    badhai

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  11. प्रणाम सीमा जी......ये भावनाए ह्रदय में गहरे उतर गयीं ....
    'उस वक़्त तू चाँद बन
    फलक की सीढ़ी से फिसल जाना......
    चुपके से मेरी हथेलियों पर
    वो नसीब लिख जाना.....'

    बहुत खूब ......

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  12. बहुत गहरे भाव, खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  13. जिसकी चाहत में मैंने
    चंद साँसों का जखीरा
    जिस्म के सन्नाटे में
    छुपा रखा है ...


    बहुत गहन भाव, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  14. कुछ सितारे
    मचल के जिस पहर
    रात के हुस्न पे दस्तक दें
    निगोड़ी चांदनी भी लजाकर
    समुंदर की बाँहों में आ सिमटे

    ---

    Beautiful !

    .

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  15. उस वक़्त तू चाँद बन
    फलक की सीढ़ी से फिसल जाना......
    चुपके से मेरी हथेलियों पर
    वो नसीब लिख जाना.....'

    वाह! वाह! क्या बात है ..कितनी खूबसूरती से भावों को पिरोया है ..वाह!
    और साथ दिया चित्र ..जैसे भीतर के अंधेरों से निकलने का रास्ता और रोशनी बताता हुआ सा है..
    चित्र और कविता दोनों पूरक से लगे.

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  16. उस वक़्त तू चाँद बन
    फलक की सीढ़ी से फिसल जाना......
    चुपके से मेरी हथेलियों पर
    वो नसीब लिख जाना.....'

    Narm ehsaason ko shadon ki chaasni mein goonth kar ik dilkash manjar khada kar diya hai aapne ... bahut khoob ...

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  17. काश चाँद उतर कर सच में हथेलियों में नसीब लिख जाये.....क्या खूब जज्बात बयां किये हैं.... बहुत सुंदर

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  18. sahi hai

    aap se mail prapt hua
    address bilkul vahi hai
    saari daak isi pate par barso sr aati rahi hai

    magar apki ki hui post ab tak nahi mili hai

    naseeb se ye bhi aa juda

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  19. 'उस वक़्त तू चाँद बन
    फलक की सीढ़ी से फिसल जाना......
    चुपके से मेरी हथेलियों पर
    वो नसीब लिख जाना.....'
    kya kahe ham to padhte hi nishabd ho gaye....

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  20. नसीब से इतनी खूबसूरत रचना हमें पढने को मिली, शुक्रिया।

    ---------
    मन की गति से सफर...
    बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।

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  21. अनुपम रचना
    प्रणाम स्वीकारिये सीमा जी
    _________________________________
    एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
    पंकज जी को सुरीली शुभ कामनाएं : अर्चना जी के सहयोग से
    पा.ना. सुब्रमणियन के मल्हार पर प्रकृति प्रेम की झलक
    ______________________________

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  22. उस वक़्त तू चाँद बन
    फलक की सीढ़ी से फिसल जाना
    चुपके से मेरी हथेलियों पर
    वो नसीब लिख जाना

    -ओह! बहुत शानदार ख्याल!! वाह!

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  23. bhut bhut behtrin andaz bhut behtrin rchnaa mubark ho. akahtar khan akela kota rajsthan

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  24. आपको परिवार एवं इष्ट स्नेहीजनों सहित दीपावली की घणी रामराम.

    रामर

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  25. Heart touching and a very emotional expression.Wish you a Happy Diwali.

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  26. so nice....bahoot achchhi lagi apki kavita.

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  27. kafi dino baad is taraf rukh kiya so aaj hi is bhawnao ke samandar me dubki lga paya hu. ataynt hridyasparhi or prem ki abhivyakti ka to jwanbhi nahi.

    Is rachna ke liye dhanyavaad,

    Rakesh Kaushik

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  28. चंद सांसों का ज़ख़ीरा जिस्म के सन्नाटे में छिपा रखा है।
    बड़ी तरतीब से लिखी नाज़ुक कविता के लिये बधाई।

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  29. वो नसीब लिख जाना
    जिसकी चाहत में मैंने
    चंद साँसों का जखीरा
    जिस्म के सन्नाटे में
    छुपा रखा है ...
    सीमा जी ज़िन्दगी की तल्ख़ सच्चाइयों और ज़िन्दगी की चाहतों को आपने अल्फाज़ के फूलों को पिरोकर एक खुबसूरत शाहकार और एक ऐसी माला तैयार की है जिसे पढ़कर मन के भीतर एक हलचल हुई आपने जिस खूबसूरती से शब्दों का आलिगन्बध किया है उसके लिए आप बधाई की पात्र हैं जब भी आपको पढता हूँ तो मन के भीतर छिपे अहसास को आपके शब्दों की जुबान मिल जाती है बधाई स्वीकार करें........

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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"