"काश" आज फ़िर ऐसी झूम के बरसात हो ,
उनसे फ़िर एक हसीन दिलकश मुलाकात हो ,
इस कदर मिलें तड़प के दो दिल आज की,
धरकनो पे न कोई अब इख्त्यार हो …..
एक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
आगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो ,
खामोश लबों की दास्ताँ मौसम भी सुने ,
निगाहों से मोहब्बत ऐ -सूरते -बयाँ हो
चलिए सूखे के मौसम में यह कविता एहसास तो karaati है Saawan ki barsaat का.
ReplyDeleteunkey ane se pehley asi barsat ho ki woh aa jay, aur unke janey ke bad asi barsat ho woh ja na paye.
ReplyDeleteबहुत सुंदर श्रृंगार गीत...
ReplyDeleteकाश!! ऐसा हो!! मेरी शुभकामना तो रख ही लो!!
ReplyDeleteवाह क्या उम्दा मिलन वर्षा गीत ! कई दिन से बाट जोह रहा था !
ReplyDeleteएक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो
ReplyDeleteआगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो.
बहुत ही बढ़िया रचना आभार .
बरसात की कमी पूरी कर दे रही है ये कविता..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
aapki rachanawon ke baare me kya kahun nishabd ho jata hun magar aapne jo chaha hai mukammal hai aur jahir hai aameen...
ReplyDeletearsh
waah ye nurani barsaat aur ishq ki fuhaar bahut manuhaari lagi sunder.
ReplyDeletejhoom kar barsaat bhi aane lagegi
ReplyDeletegesu apne khol kar bikhra zara..................
har taraf sailaab hoga "albela"
seene se mehboob ke lagja zara
ARE..........YE TOH SHE"R HO GAYE....
badhaai aapke liye
achhi post !
बारिश तो है नहीं .. आपकी कविता से ही बारिश का अहसास कर रहे हैं !!
ReplyDeleteबारिश का एहसास लिए सुन्दर कविता लिखी है आपने
ReplyDeleteहम तो भीग गए. आभार.
ReplyDeleteखुबसुरत अंदाजे बयाँ बरसात बूदों का
ReplyDeleteदेवताओं की सिफारिश चाहिए
ReplyDeleteधरतियाँ प्यासी हैं बारिश चाहिए.
माफ़ करें ऊपर बाहरी तरफ़ की फ़ोटो जमी नहीं !
ReplyDeleteएक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
ReplyDeleteआगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो ,
वाह सीमा जी बेहद भीगी भीगी से रचना....
पर कमबख्त बरसात हो ही नहीं रही है...
मीत
नायाब, बहुत ख़ूब!!
ReplyDelete--
चाँद, बादल और शाम
एक प्रेम मे डुबी कविता .......बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना बधाई.......एक प्रेम मय भाव
ReplyDeleteआज तो बहुत सुंदर श्रंगारिक रचना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
baarish
ReplyDeleteaur haseen pal
yaaden aur diwaanaapan
ek haseen dillagi fir
mausam ka soonapan
tadap ke palchhin
yaad dilaane ka dhanywaad .....
rajesh
बरस गयी यह पोस्ट!
ReplyDeleteबरसात हो रही है। छाते का इंतजाम करिये।
ReplyDeleteएक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
ReplyDeleteआगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो ,
खामोश लबों के दास्ताँ मौसम भी सुने ,
निगाहों मे मोहब्बत ऐ -सूरते -बयाँ हो
........ठीक इसी प्रकार से एक एक शब्द से कविता रूपी कायनात सजा दी है आपने ,सावन के महीने को समर्पित लगती ये कविता बहुत ही रूमानी ओर आपके प्रिय अंदाज से हट कर है, बहुत अच्छा लगा आज यह कविता पढ़कर,इधर ये रचना मिली ओर बरसात भी होने लगी .
सादर
एक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
ReplyDeleteआगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो
प्रेम में गहरे डूब कर लिखी सुंदर रचना है........... आप हर एहसास, हर मौसम को बाँध कर लिखती है जो दिल को सकूँ देता है........
बारिश हो न हो, पर प्रेम के बदरा तो खूब झूम के बरसे हैं आपकी इस अनमोल रचना में.
ReplyDeleteन कहीं बिजली की चमक, न गडगडाहट, सब कुछ आहिस्ता-अहिस्ता................ बहुत खूब.
बधाई.
एक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
ReplyDeleteआगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो.....
सुंदर रचना.
यह तमन्ना पूरी हो! आमीन!
ReplyDeleteबहुत खूब, बरसात हो!
ReplyDeleteएक एक लफ़्ज़ मोहब्बत की चाशनी मे सराबोर ! क्या कहना सीमाजी वाह वाह।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, जिस तरह पतझड विरह का प्रतीक है उसी तरह बारिश मिलन का प्रतीक है.
ReplyDeleteसुन्दर श्रिन्गारिक भाव ली हुई रचना.
एक एक बूंद से सजी सारी कायनात हो ,
आगोश मे फ़िर मेरी शरीके -हयात हो ,
उपरोक्त पन्क्ति बहुत सुन्दर है
सादर
bahut hi sundar, sringaar ras mein doobi pyar bhare bhaav liye likhi yah rachna bahut achchee lagi.
ReplyDeleteवाह बेहतरीन शब्दचित्र.. साधुवाद...
ReplyDeleteअच्छी रचना ..बधाई
ReplyDeleteमुई नौकरी ऐसी है की टाइम ही नहीं मिल पाता पर किसी ने बताया था आपके ब्लॉग और आपकी रचनाओ के बारे में आज सब पढी ..दिल जीत लिया आपने ...एकदम रूमानी कर दिया ....धन्यवाद आपका
ReplyDeleteBahut hi shaandaar kalpanaa.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
khubsurat rachna
ReplyDeleteek bar fir pyar bhare dilo ko chuu lene wali ye pyar bahri rachna..
ReplyDeletenafrat kane wala jo bhi aaapki rachna padhta hoga wo bhi pyar karna sikh jata hoga..
dhero badhiya sawikar kare