आँखों मे जलजले ,
मरुस्थल दिल की जमीन .
भावनाओ की साजिश ,
संभावनाओ का जलना .
धधकते अंगारों से पल,
दर्द का विकराल रूप ,
म्रत्यु से द्वंद ,
पथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
http://latestswargvibha.blog.co.in/
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2009/07/blog-post_20.html
हमें तो आपके आने से बहुत अच्छा लगा...:)
ReplyDeleteम्रत्यु से द्वंद ,
ReplyDeleteपथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
मार्मिक मगर सुन्दर अभिव्यक्ति आभार्
सुंदर अभिव्यक्ति। इस कविता में तो गागर में सागर भरा है।
ReplyDeleteसुंदर.
ReplyDeletebhavnao kee sazis.
ReplyDeletevaah bahut khoob
बहुत सुन्दर रचना . बधाई .
ReplyDeleteआपकी रचना पढ़े हुए बहुत समय बीत गया था . आज पढ़कर अच्छा लगा .
ReplyDeleteमार्मिक !
भावपूर्ण रचना .
ReplyDeletesundar bahavabhivyakti
ReplyDeleteम्रत्यु से द्वंद ,पथराये जिस्म का गलना ,
ReplyDeleteतेरे जाने के बाद ......
एक मार्मिक सत्य कहा है ,भावात्मकता के साथ ही इसमें एक दार्शनिक अभिव्यक्ति है बधाई
सीमा गुप्ता जी!
ReplyDeleteभावप्रणव पोस्ट के लिए,
बधाई।
सच, किसी जाने के बाद ही उसकी महत्ता का एहसास होता है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पथराये जिस्म का गलना .
ReplyDeleteतेरे जाने के बाद.....
बहुत ही सुंदर भावप्रवण अभिव्यक्ति. लाजवाब.
रामराम.
इस खूबसूरत रचना का आभार । उपस्थिति अच्छी लग रही है ।
ReplyDeleteगहरी नज्म है .............. बहुत दिनों बाद कुछ लिखा है आपने और दिल को हिलाने वाला .............. जाने कितने एहसास सिमटे हुवे लिखा है ................ सच मच किसी के जाने के बाद ही सब्र का बाँध टूटता है .............. इतना............... की जिसमें जिस्म भी गल जाए.......... स्तब्ध करती रचना
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने का अवसर मिला, बहुत अच्छा लगा। अब आपकी तबीयत कैसी है?
ReplyDeleteम्रत्यु से द्वंद ,
ReplyDeleteपथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
वाह!!
बहुत मार्मिक
मीत
दर्द का विकराल रूप ,
ReplyDeleteम्रत्यु से द्वंद ,
पथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
सीमा जी यह पक्तियां बहुत खुब लगी, मेरे पास शव्द नही केसे कहूं, लेकिन यह एक सच है....
धन्यवाद
पत्थ्राराये जिस्म का गलना तेरे जाने के बाद ...........बहुत ही सुन्दर .....सिधे गहरे उतरी ये पंकतियाँ
ReplyDeleteसचमुच किसी का जाना इतना त्रासद लगता है, बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteकिसी के जाने के बाद ही उसकी कमी महसूस होती है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
किसी के जाने के बाद उत्पन्न विरह ओर बर्बादी का जो मंजर आपने प्रस्तुत किया वह अपने आप में अद्वितीय है सचमुच ऐसा मैंने कहीं नहीं पढ़ा .....
ReplyDeleteभावनाओ की साजिश ,
संभावनाओ का जलना .
जैसे वाक्य आपकी काव्य क्षमता ओर त्रासद चित्रण की अभिव्यक्ति .....
आपके इस लेखन में जो melodramatic element नजर आता है इतना तो जॉन वेबस्टर के नाटक Duchess Of Malfi में भी नहीं लगा
सुन्दर व भावपूर्ण रचना आभार !
ReplyDeletebadhiya likha hai aap ne
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद लौटी हैं लेकिन हमेशा की तरह बहुत प्रभावशाली रचना के साथ सीमा जी...बधाई...उम्मीद है अब पूर्ण रूप से स्वस्थ होंगी....
ReplyDeleteनीरज
घोर विरह अभिव्यक्ति !
ReplyDeletekiya kuhb likha hai aapne ,
ReplyDeleteseema ji apki har rachna sach me adhbuht hoti hai , kaha se chun kar lati hai itne pyare sabd or fir unko ek dhage me piro kar unko jivant karna , realy you are to good
badhiya savikar kare
म्रत्यु से द्वंद ,
ReplyDeleteपथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
kitni ghari dard bhari nazm hai
आपने एक बार फिर दिमाग सुन्न कर दिया। कहाँ से लाती हैं ऐसे दर्द की बानगी?
ReplyDeleteseemaji mere blog par aapke liye ek award hai please accept it thanx
ReplyDeleteबहुत भावापूर्ण रचना!!
ReplyDeleteसुन्दर भावव्यक्ति.
ReplyDelete'तेरे जाने के बाद' संवेदनाओं की सच्ची अभिवक्ति पर उनका क्या जो रहते हुए भी जिन्दगी इससे भी बदतर बन देते हैं, आशा है इस विषय पर भी एक कविता शीघ्र ही पढने को मिलेगी.
आभार
चन्द्र मोहन गुप्त
वापसी शानदार कविता के साथ, आशा है कि अब लगातार कवितायें पढ़ने को मिलेंगी.
ReplyDelete'पथराये जिस्म का गलना'
ReplyDeleteबहुत ही marmik chitran!
कुछ ही panktiyon में एक कहानी सी कह गयी कविता!
I like all your rachnayen.I am a fan of yours. Each & every line has its life in original.Your creation has its own beauty.
ReplyDeleteExcellant,Beautiful rachna. it touched my heart.sadar
Welcome to .tk world :-/)
ReplyDeleteहौसला अफजायी के लिये धन्यबाद
ReplyDeleteखुबसुरत मंजर तेरे जाने के बाद
tuk bandi me gaya kaun yah mukhrit nahi magar ehsaas sabhi ko kisi ke jaane ke baad hone wale ehsaas ka
ReplyDeletethanks
amazing poem seema ji
ReplyDeletevery expressive words with deep thoughts of philosphical approch to life,.,.
Aabhar
Vijay
Pls read my new poem : man ki khidki
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html
जीवन तो ऐसा ही है.....और दर्द भी गुजरने के बाद गोया कविता बन जाता है...और कविता होकर मरहम भी....और मरहम.....जीवन.....!!!!
ReplyDeleteaap acche ho gaye....jaankar behad acchha lagaa....dil men ik phool phir se nikhartaa saa lagaa....!!
ReplyDeletetere jane ke baad...wow!etne se shabdo me kitna kah diya....really g8...
ReplyDeleteवाह वाह सीमाजी आप बेहतरीन कविता लिखिए और हमसे कहिए ...कृपया दाद न दें ---
ReplyDeleteये अत्याचार नहीं तो और क्या है ?
आखों में ज़लज़ले
मरुस्थल दिल की ज़मीन
अल्फ़ाज़ों का इतना संजीदा इस्तेमाल सिर्फ़ हमारी सीमाजी ही कर सकती हैं। बहुत बधाई और आभार इस बेहतरीन रचना के लिए।
विछोह का मार्मिक चित्रण. साधुवाद.
ReplyDeletebhavnao kee sazis.
ReplyDeletevaah bahut khoob
पथराये जिस्म का गलना .
ReplyDeleteतेरे जाने के बाद.....
कितनी भावपूर्ण एवं मार्मिक अभिव्यक्ति!!!!!!!
आजकल काफी सुस्त लग रही हैं आप। काफी समय से आपकी नयी पोस्ट नहीं आई है।
ReplyDeleteक्या बात है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सीमा जी,
ReplyDeleteविरह वेदना का सम्पूर्ण चित्रण मात्र चन्द पन्क्तियो मे करने की सफल कोशिश.
भावनाओ की साजिश ,
संभावनाओ का जलना
बहुत शानदार, शायद विरह वेदना मे जलते किसी व्यक्ति की पीडा ीइन्ही शब्दो के ीइर्द गिर्द ही होती होगी.
आँखों मे जलजले ,
दर्द का विकराल रूप ,
म्रत्यु से द्वंद ,
पथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
बहुत बहुत सुन्दर
सादर
राकेश
सीमा जी,
ReplyDeleteविरह वेदना का सम्पूर्ण चित्रण मात्र चन्द पन्क्तियो मे करने की सफल कोशिश.
भावनाओ की साजिश ,
संभावनाओ का जलना
बहुत शानदार, शायद विरह वेदना मे जलते किसी व्यक्ति की पीडा इन्ही शब्दो के इर्द गिर्द ही होती होगी.
आँखों मे जलजले ,
दर्द का विकराल रूप ,
म्रत्यु से द्वंद ,
पथराये जिस्म का गलना .
तेरे जाने के बाद......
बहुत बहुत सुन्दर
सादर
राकेश
kammal ka kalam...lage rahiye...
ReplyDeleteआज की पोस्ट का पेज नहीं खुल रहा है,मैं आपकी रचना ""बरसात ""नहीं पढ़ पा रहा हूँ ,कृपया देंखे.
ReplyDeleteक्या खूब बयानी है जुदाई की ।
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