
सुनी लगती है ये धरती...
अगन ये नभ बरसाता है
तुमको खोजे कण कण मे
ये मन उद्वेलित हो जाता है...
अरमानो के पंख लगा
एक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
दिल बैरागी हो जाता है.....
हर आस सुलगने लगती है
उम्मीद बोराई जाती है
ये कसक है या दीवानापन
सुध बुध को समझ ना आता है...
पानी की बूंदों से बाँचे
और पवन के रुख पे सजों डाले
निरुत्तर लौटे वो संदेश सभी
तुमको खोजे कण कण मे
ReplyDeleteये मन उद्वेलित हो जाता है....
अति सुंदर .
bhavpurn khubsurat
ReplyDeleteसीमा जी,
ReplyDelete" पानी की बूंदों से बाँचे
और पवन के रूख पे सजों डाले
निरूत्तर लौटे वो संदेश सभी
हर प्रयास विफल हो जाता है "
सुन्दर अभिव्यक्ती!, सुन्दर भाव!!
सच किसी प्रिय के लिये प्रिय तक संदेश भेजे जाने के बाद जवाब का इंतजार करना और जवाब आना किसी रॉकेट का अपने लक्ष्य तक पहुँच जाने के बाद सकुशल लौट के आने सा ही है.
मुकेश कुमार तिवारी
सुनी लगती है ये धरती...
ReplyDeleteअगन ये नभ बरसाता है
तुमको खोजे कण कण में
ये मन उद्वेलित हो जाता है..
बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण रचना . पढ़कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये पंक्तियाँ जैसे किसी की बेसब्री से प्रतीक्षा में है .
आभार. .
सुनी लगती है ये धरती...
ReplyDeleteअगन ये नभ बरसाता है
तुमको खोजे कण कण में
ये मन उद्वेलित हो जाता है..
बहुत ही बढ़िया भावपूर्ण रचना . पढ़कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये पंक्तियाँ जैसे किसी की बेसब्री से प्रतीक्षा में है .
आभार. .
बहुत ही खूबसूरत. "उम्मीद बोराई जाती है" इस पंक्ति ने तो हमें बौरा दिया.
ReplyDeleteपानी की बूंदों से बाँचे
ReplyDeleteऔर पवन के रुख पे सजों डाले
निरूतर लौटे वो संदेश सभी
हर प्रयास विफल हो जाता है...
खूबसूरत भाव -अभिव्यक्ति .
हृदय की उथल पुथल और आशा -निराशा को बेहद खूबसूरती से चित्रित किया है.
पानी की बूंदों से बाँचे
ReplyDeleteऔर पवन के रुख पे संजो डाले
निरूतर लौटे वो संदेश सभी
हर प्रयास विफल हो जाता है...बहुत गहरी कविता.. आभार
सुन्दर्।
ReplyDeleteविरह महसूस करा दिया आपने आपनी इस रचना से...
ReplyDeleteखूबसूरत...
मीत
निरूतर लौटे वो संदेश सभी
ReplyDeleteहर प्रयास विफल हो जाता है...
इंतजार की कशिश को शानदार अभिव्यक्ति दी है आपने.बहुत ही सुंदर. शुभकामनाएं.
अरमानो के पंख लगा
ReplyDeleteएक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
दिल बैरागी हो जाता है.....
--बढ़िया भावपूर्ण रचना . बहुत ही खूबसूरत.
आत्माभिव्यक्ति की सुंदर रचना।
ReplyDeleteकविता का एक एक शब्द पढने वाले को बांध कर रखने में समर्थ है ,
ReplyDeleteनिर्मोही से ह्रदय लगा कर यही हालत होती है जैसे की आपने लिखा है
तुमको खोजे कण कण मे
ReplyDeleteये मन उद्वेलित हो जाता है....
अति सुंदर ....खूबसूरत भाव -अभिव्यक्ति .
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
ReplyDeleteदिल बैरागी हो जाता है.....
बहुत खूब. सीमा जी आपने इन दो पंक्तियों में बहुत कुछ कह डाला. एक तरफ रस्मों की दीवारों में भेदने की ललक और दूसरी और दिल का बैरागी हो जाना ...............................
सुन्दर प्रस्तुति.
बधाई हो.
चन्द्र मोहन गुप्त
This poem is as beautiful as nature Ise padhte padhte mano me kahin kho sa gaya..
ReplyDeleteTruly mesmerising and eloquent poetry of yours..
Love and Care
Amit Verma
अरमानो के पंख लगा
ReplyDeleteएक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
दिल बैरागी हो जाता है.....
वाह बहुत खूबसूरत शब्द और तिलस्मी चित्र....दोनों मिल कर रचना को नए आयाम दे रहे हैं....बधाई...
नीरज
बहुत खूब. आपने इन दो पंक्तियों में बहुत कुछ कह डाला. एक तरफ रस्मों की दीवारों में भेदने की ललक और दूसरी और दिल का बैरागी हो जाना.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया भावपूर्ण रचना . पढ़कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये पंक्तियाँ जैसे किसी की बेसब्री से प्रतीक्षा में है
अरमानो के पंख लगा
ReplyDeleteएक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
दिल बैरागी हो जाता है.....
sundar bhavabhivykti
सुन्दर कविता और उसके साथ सुन्दर चित्र.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण !! बहुत खूबसूरत !!
ReplyDeleteपानी की बूंदों से बाँचे
ReplyDeleteऔर पवन के रुख पे सजों डाले
निरूतर लौटे वो संदेश सभी
हर प्रयास विफल हो जाता है...
वाह जी वाह बहुत ही खुबसूरत भाव हैं बेहतरीन रचना के लिए बधाइ
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति व्यक्त की है आपने इस रचना के माध्यम से ..बहुत अच्छी लगी यह
ReplyDeleteअरमानो के पंख लगा
ReplyDeleteएक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
दिल बैरागी हो जाता है.
मुझे तो पसंद आयी ये लाईनें - दीदार को तरसती ! अभिसार को उत्कंठित !
बिरह बेदना की सुन्दर अभिव्क्ति......
ReplyDeleteखूबसूरत।
ReplyDelete"अरमानो के पंख लगा / एक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
ReplyDeleteसेंध लगा रस्मो की दीवारों मे / दिल बैरागी हो जाता है..... "
बहुत खूब मैम...बहुत खूब !!!
sundar!!
ReplyDeletebahut hee sundar . 'man vairagee' adbhut abhivyakti .
ReplyDeleteसीमा जी
ReplyDeleteमिलन और विछोह के बीच इंसान की बेबसी को बहुत ही गहरे में बांधा है इस कविता में अपने.............
हर शब्द अपने आप में कुछ कहता हुवा लगता है............
जिंदगी की कटु सच्चाइयों से ओतप्रोत कविता।
ReplyDelete-----------
खुशियों का विज्ञान-3
ऊँट का क्लोन
sandesh chaahaa tha jinse, kya unhe pataa hai?
ReplyDeletelaute jo sandesh niruttar, prashnon ki koi khataa hai?
armaano ka pankh lagaa ke dil ud ud kahaan jaataa hai ?
bin lakshy ke kabhi koi kaam safalta bhalaa paata hai?
chitr lagaaya sunder hai man ka
snahare parinde kaa
kya pataa dil hai kyon kahtaa
aisa kuchh mere sang bhi to hota hai
baki kya rah jata gar...uttar mil jaate to.....!!
ReplyDeleteaur bi mushkil jaati....gar....uttar mil jaate to....!!
jindgi aboojh rahi...isiliye hamne jee bhi lee.....!!
vakt se pahle mar jaate gar....uttar mil jaate to.....!!
bahut hi sunder rachna ,
ReplyDeleteiske alawa kuch likhna bahut muskil hai,
मुश्किल ही ना हो जाती गर....उत्तर मिल भी जाते तो.....??
ReplyDeleteबाकि ही क्या रह जाता गर.....उत्तर मिल भी जाते तो.....!!
और भी मुश्किल हो जाती गर....उत्तर मिल भी जाते तो ....!!
जिन्दगी बड़ी अबूझ रही.....इसीलिए हमने जी भी ली.....!!
वक्त से पहले मर जाते हम गर....उत्तर मिल भी जाते तो.....!!
हमने वक्त को पल-पल सींचा....पल-पल इक इंतज़ार किया
हर पल भारी-भारी हो जाता गर....उत्तर मिल भी जाते तो....!!
हर दुश्वार को आसां बनाना आदमी की ही अनूठी फितरत है
हर आसानी मुश्किल हो जाती गर उत्तर मिल भी जाते तो....!!
हमने मुहब्बत को अपनाया..और गाफिल सबों से प्यार किया
हम गाफिल भला कहाँ रह पाते गर...उत्तर मिल भी जाते तो...!!
पानी की बूंदों से बाँचे
ReplyDeleteऔर पवन के रुख पे सजों डाले
निरुत्तर लौटे वो संदेश सभी
हर प्रयास विफल हो जाता है...
बहुत बढ़िया ...संवेदनशील अभिव्यक्ति ..
हेमंत कुमार
ये कसक है या दीवानापन
ReplyDeleteसुध बुध को समझ ना आता है...यह भाव भरा हर गीतों में
दारुण क्रन्दन कर जाता है।
सीमा जी के मन के भीतर
संत्रास अगाध समाता है?
एक और विप्रलम्भ के लिए शुक्रिया।
बहुत ही अच्छी कविता । धन्यवाद
ReplyDeleteइन पंक्तियों को पढ कर मन की व्यथा का अंदाजा सहज ही हो जाता है।
ReplyDelete----------
TSALIIM.
-SBAI-
seema ji ,
ReplyDeletebahut hi sundar rasbhari kavita . prem ki sampoorn abhivyakti ko sajaati hui ....
badhai sweekar karen ..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com
बहुत ही अच्छी कविता । धन्यवाद
ReplyDeleteतुम एक बार कहे कर तो देखो कैसे बदले गई ये धरती ये चमन ..कोशिश तो करो ...खुद चल दे दी ये धरती ..बहुत उमंदा
ReplyDeletekuch bhavnatmak vakyon ka punj-
ReplyDeletekavita hi hai !
गर्म मौसम की तपीश में एक अच्छी कविता।
ReplyDeleteबहुत उत्तम रचना है !
ReplyDeletebahut sundar bahv poorn
ReplyDeleteये पंक्तियाँ बहुत मनोहारी हैं-अरमानो के पंख लगा
ReplyDeleteएक स्पर्श तुम्हारा पाने कों
सेंध लगा रस्मो की दीवारों मे
दिल बैरागी हो जाता है.....