
मै जानती हूँ .........
मेरे खत का उसे इंतजार नही
मेरे दुख से उसे सरोकार नही ,
मेरे मासूम लफ्ज उसे नही बहलाते
मेरी कोई बात भी उसे याद नही.
मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
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मगर मै डरती हूँ उस पल से
ReplyDeleteजब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
बहुत गहन अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं
रामराम.
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
ReplyDeleteगुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
bahut sundar bhav abhivyakta huye hai.badhai
बेहतरीन रचना...बहुत मार्मिक और भावपूर्ण...
ReplyDeleteनीरज
Just superb, seems you have pen down my own world, feelings and emotions.
ReplyDeleteI wish I come and personally congratulate to you on writing such wonderful poems.
With Kind regards,
Kul Bhushan
जब वो चेतना में लौटेगा और
ReplyDeleteपश्चाताप के तूफ़ानी सैलाब से
गुज़र नही पायेगा ...जड़ हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
आदरणीय सीमाजी, बस यही वो बात है जिसकी वजह से आपके प्रति व्यापक सम्मान का भाव हर एक के हृदय में जागृत होता है।
आपमें आदभुद्य के स्तर की विलक्षणता है और आपके प्रस्तुतिकरण में आध्यात्मिक विस्मय है जिसे किसी तरह के व्याकरण की दरकार नहीं। आपको इस सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।
बहुत सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना.
ReplyDeleteseema ji ,
ReplyDeletevery sensitive feelings composed in a very effective manner..
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
kya baat kahi hai ji .. wah ji wah
badhai ..
bahut sunder likha hai...
ReplyDeletemeet
बहुत सुन्दर, मनोभावों का प्रकटन बहुत अच्छा है!
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
सुंदर बेहतरीन लिखतीं हैं आप सीमा जी
ReplyDeletehow touchie n truthful these lines.
ReplyDeleterealy painful but true in such conditions
Rakesh Kaushik
ham unko jante hain,jo unko chahte hain,wo kisko chahte hain iski khabar nahin. narayan narayan
ReplyDeleteआज कुछ अलग रंग दिखा आपकी कविता में......
ReplyDeleteवाह ! इतना दमख़म और अपने पर भरोसा !
ReplyDeleteWow, I could imagine every line You've written..
ReplyDeleteSuch a good piece of writings
amit verma
ओह ! कमाल की भावना लिए...
ReplyDeleteअच्छी कविता.. सीमा जी... मन से जुड़ी हुई....
ReplyDeleteलाजवाब!
ReplyDeleteमेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
ReplyDeleteमेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
....................
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
....प्रभु ईशू को जब शूली पर चढाया जा रहा था तब उन्होंने प्रार्थना की थी--
" हे ईश्वर इन्हे क्षमा करना ये नही जानते कि क्या कर रहे हैं"
इन पंक्तियों को पढ़कर बरबस वो बात याद आ गई....अपना जी जीवन लेने वाले प्रति करुणा करना शायद "करुणा" को भी एक नया आयाम देती है.
bahut sundar..
ReplyDeleteus pal se aapki panktiyo me darna ek schche prem ki aour ingit karta he..yahi aapki rachna ki behtreen pankti lagi aour shayad is rachna ki yahi panktiya jaan he.
bahut sunder rachana
ReplyDeleteओह, हम सब डरते हैं पलों से, युग गुजर जाते हैं!
ReplyDeleteलाजवाब अटूट विश्वास है "उस" पर. इसी को प्रेम कहते हैं.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सीमाजी धन्यवाद.
ReplyDeleteभावनाओं को शब्दों में ढालने की कला आप से ही सीखनी होगी. सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteअरे डरिये नहीं। ऊ वाला शेर फ़िर से दोहराते हैं:
ReplyDeleteमोहब्बत में बुरी नीयत से कुछ भी सोचा नहीं जाता,
कहा जाता है उसे बेवफ़ा, समझा नहीं जाता।
सीमा जी,यही तो प्यार है...
ReplyDeleteधन्यवाद
ACHCHHEE NAHIN,BAHUT HEE ACHCHEE
ReplyDeleteKAVITA HAI.ANTIM PANKTION MEIN
SAADGEE KAA VARNAN NIRAALAA HAI,
BAHUT KHOOB ! BADHAAEE.
मगर मै डरती हूँ उस पल से
ReplyDeleteजब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
बहुत ही प्यारी पंक्तियॉं है, बधाई।
बहुत ही सुन्दर रचना है।
ReplyDeleteमगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
बेहतरीन ।
ReplyDeleteमेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
ReplyDeleteउसे मुझसे जरा भी प्यार नही
दर्द की सीमा को पार करता हुआ है यह आंसू...
बहुत सुंदर कविता...
[यह blog ke corner mein सेब पर बूंदों से बना दिल ..बहुत खूबसूरत तस्वीर है]
Ati Sundar Rachanaa hai ji
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteमेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
ReplyDeleteउसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
सीमा जी नमस्कार
SUPERB कविता के लिए
Mind Blowing शब्दों के लिए
History आपके लिए
... सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteVery emotional and touchy....
ReplyDeleteमगर मै डरती हूँ उस पल से
ReplyDeleteजब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
भावनाओं से ओत प्रोत! पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि हर पंक्ति बोल रही हो।
महावीर शर्मा
जब वो चेतना में लौटेगा और
ReplyDeleteपश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
sundar ati sundar
magar aapko
DARNA mana hai
अच्छी लगी आपकी रचना। बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteडरती हूँ उस पल से
ReplyDeleteजब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
.....वाकई शब्द कितने समर्थ होते हैं, सारी परतें उधेड़ देते हैं मन की. डरते-डरते भी पराजित कर देते हैं. गहरी संवेदना के साथ इतनी सार्थक रचना उकेरने पर बहुत-बहुत बधाई.
हाँ हमें भी इक उसी पल का इंतज़ार है....हम नहीं डरते आपके उस पल से....क्यूंकि वाही तो इक पल जीवन का सार है....हाँ वो प्यार है ...प्यार है....प्यार है....जिसके लिए ये सारा जीवन बेकार है....हाँ ये व्यापार नहीं प्यार है....मगर जो प्यार प्यार को ही व्यापार बना बैठे .....वही तो संसार है.....मगर फिर भी प्यार है....प्यार है.....प्यार है....!!
ReplyDeleteकितना गहरा एहसास है इस रचना में.............
ReplyDeleteसोच की पराकाष्ठा.......उत्तम रचना
bahut hi sunder rachna likhi hai , har rachna ki trha isne bhi mere dil ko chhuuu liya hai.
ReplyDeletewaqii me prem kai bar itna dard de jata hai ki kuhn ke ashu bhi nikal padte hai, par unko dekhne wala koi nhi hota.
i love ur poem's