2/09/2009

"मै डरती हुं "

"मै डरती हूँ "

मै जानती हूँ .........
मेरे खत का उसे इंतजार नही
मेरे दुख से उसे सरोकार नही ,
मेरे मासूम लफ्ज उसे नही बहलाते
मेरी कोई बात भी उसे याद नही.
मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
कोई आहट उसे नही चौंकाती
क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही
मगर मै डरती हूँ उस पल से
जब वो चेतना में लौटेगा और
पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

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44 comments:

  1. मगर मै डरती हूँ उस पल से
    जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

    बहुत गहन अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं

    रामराम.

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  2. पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
    bahut sundar bhav abhivyakta huye hai.badhai

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  3. बेहतरीन रचना...बहुत मार्मिक और भावपूर्ण...
    नीरज

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  4. Just superb, seems you have pen down my own world, feelings and emotions.
    I wish I come and personally congratulate to you on writing such wonderful poems.

    With Kind regards,

    Kul Bhushan

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  5. जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफ़ानी सैलाब से
    गुज़र नही पायेगा ...जड़ हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

    आदरणीय सीमाजी, बस यही वो बात है जिसकी वजह से आपके प्रति व्यापक सम्मान का भाव हर एक के हृदय में जागृत होता है।
    आपमें आदभुद्य के स्तर की विलक्षणता है और आपके प्रस्तुतिकरण में आध्यात्मिक विस्मय है जिसे किसी तरह के व्याकरण की दरकार नहीं। आपको इस सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।

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  6. बहुत सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना.

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  7. seema ji ,

    very sensitive feelings composed in a very effective manner..

    मगर मै डरती हूँ उस पल से
    जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

    kya baat kahi hai ji .. wah ji wah
    badhai ..

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  8. bahut sunder likha hai...
    meet

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  9. बहुत सुन्दर, मनोभावों का प्रकटन बहुत अच्छा है!

    ---
    गुलाबी कोंपलें

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  10. सुंदर बेहतरीन लिखतीं हैं आप सीमा जी

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  11. how touchie n truthful these lines.
    realy painful but true in such conditions

    Rakesh Kaushik

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  12. ham unko jante hain,jo unko chahte hain,wo kisko chahte hain iski khabar nahin. narayan narayan

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  13. आज कुछ अलग रंग दिखा आपकी कविता में......

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  14. वाह ! इतना दमख़म और अपने पर भरोसा !

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  15. Wow, I could imagine every line You've written..
    Such a good piece of writings

    amit verma

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  16. ओह ! कमाल की भावना लिए...

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  17. अच्छी कविता.. सीमा जी... मन से जुड़ी हुई....

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  18. मेरे ख्वाबों से उसकी नींद नही उचटती
    मेरी यादो मे उसके पल बर्बाद नही
    मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
    उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
    ....................
    मगर मै डरती हूँ उस पल से
    जब वो चेतना में लौटेगा और
    ....प्रभु ईशू को जब शूली पर चढाया जा रहा था तब उन्होंने प्रार्थना की थी--
    " हे ईश्वर इन्हे क्षमा करना ये नही जानते कि क्या कर रहे हैं"
    इन पंक्तियों को पढ़कर बरबस वो बात याद आ गई....अपना जी जीवन लेने वाले प्रति करुणा करना शायद "करुणा" को भी एक नया आयाम देती है.

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  19. bahut sundar..

    us pal se aapki panktiyo me darna ek schche prem ki aour ingit karta he..yahi aapki rachna ki behtreen pankti lagi aour shayad is rachna ki yahi panktiya jaan he.

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  20. ओह, हम सब डरते हैं पलों से, युग गुजर जाते हैं!

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  21. लाजवाब अटूट विश्वास है "उस" पर. इसी को प्रेम कहते हैं.

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  22. बहुत बढ़िया सीमाजी धन्यवाद.

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  23. भावनाओं को शब्दों में ढालने की कला आप से ही सीखनी होगी. सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.

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  24. अरे डरिये नहीं। ऊ वाला शेर फ़िर से दोहराते हैं:
    मोहब्बत में बुरी नीयत से कुछ भी सोचा नहीं जाता,
    कहा जाता है उसे बेवफ़ा, समझा नहीं जाता।

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  25. सीमा जी,यही तो प्यार है...
    धन्यवाद

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  26. ACHCHHEE NAHIN,BAHUT HEE ACHCHEE
    KAVITA HAI.ANTIM PANKTION MEIN
    SAADGEE KAA VARNAN NIRAALAA HAI,
    BAHUT KHOOB ! BADHAAEE.

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  27. मगर मै डरती हूँ उस पल से
    जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

    बहुत ही प्‍यारी पंक्तियॉं है, बधाई।

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  28. बहुत ही सुन्दर रचना है।

    मगर मै डरती हूँ उस पल से
    जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

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  29. मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता

    उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
    दर्द की सीमा को पार करता हुआ है यह आंसू...
    बहुत सुंदर कविता...

    [यह blog ke corner mein सेब पर बूंदों से बना दिल ..बहुत खूबसूरत तस्वीर है]

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  30. bahut sunder

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  31. मेरा कोई आंसू उसे नही रुलाता
    उसे मुझसे जरा भी प्यार नही
    कोई आहट उसे नही चौंकाती
    क्योंकि उसे मेरा इन्तजार नही

    सीमा जी नमस्‍कार
    SUPERB कविता के लिए
    Mind Blowing शब्‍दों के लिए
    History आपके लिए

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  32. ... सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  33. Very emotional and touchy....

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  34. मगर मै डरती हूँ उस पल से
    जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से
    भावनाओं से ओत प्रोत! पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि हर पंक्ति बोल रही हो।
    महावीर शर्मा

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  35. जब वो चेतना में लौटेगा और
    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से
    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा
    मै डरती हूँ ....बस उस एक पल से

    sundar ati sundar

    magar aapko

    DARNA mana hai

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  36. अच्‍छी लगी आपकी रचना। बधाई स्‍वीकारें।

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  37. डरती हूँ उस पल से

    जब वो चेतना में लौटेगा और

    पश्चाताप के तूफानी सैलाब से

    गुजर नही पायेगा ...जड हो जाएगा

    .....वाकई शब्द कितने समर्थ होते हैं, सारी परतें उधेड़ देते हैं मन की. डरते-डरते भी पराजित कर देते हैं. गहरी संवेदना के साथ इतनी सार्थक रचना उकेरने पर बहुत-बहुत बधाई.

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  38. हाँ हमें भी इक उसी पल का इंतज़ार है....हम नहीं डरते आपके उस पल से....क्यूंकि वाही तो इक पल जीवन का सार है....हाँ वो प्यार है ...प्यार है....प्यार है....जिसके लिए ये सारा जीवन बेकार है....हाँ ये व्यापार नहीं प्यार है....मगर जो प्यार प्यार को ही व्यापार बना बैठे .....वही तो संसार है.....मगर फिर भी प्यार है....प्यार है.....प्यार है....!!

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  39. कितना गहरा एहसास है इस रचना में.............
    सोच की पराकाष्ठा.......उत्तम रचना

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  40. bahut hi sunder rachna likhi hai , har rachna ki trha isne bhi mere dil ko chhuuu liya hai.

    waqii me prem kai bar itna dard de jata hai ki kuhn ke ashu bhi nikal padte hai, par unko dekhne wala koi nhi hota.

    i love ur poem's

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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"