"कैसे तुम्हे भुलाऊ "
गर ऐसे याद करोगी मुझको,
कैसे मै जी पाउँगा ? ??
ये शब्द तुम्हारे ....
बाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं ,
मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,
सानिध्य का एहसास तुम्हारा
विचलित कर मन को भरमाये ,
संकल्प तुम्हारे नृत्य करे और ,
बोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ "
http://hindivangmay1.blogspot.com/2009/01/blog-post_02.html
बहुत ही अच्छी कविता है....सही में कुछ यादें भुला कर भी हम नही भूल सकते...
ReplyDeleteसंकल्प तुम्हारे नृत्य करें
ReplyDeleteबोल गूंज कर प्रणय सुनाये
भावभीना ,शुक्रिया !
bhulane kee koshish bekar hai. koi kisi ko nahi bhula sakta. bas vakt hai jo kabhee kabhee kisi ki yad dhundhali kar deta hai.
ReplyDeleteगर ऐसे याद करोगी मुझको,
ReplyDeleteकैसे मै जी पाउँगा ? ??
बहुत सुन्दरतम भावाभिव्यक्ति।
रामराम।
बहुत अच्छी!
ReplyDeleteBahut hi Behtareen Likha hai. Aap DHeere Dheere magar bade solid tareeke se dil me ghar karte ja rahe ho?
ReplyDeleteu r just atulaniya
Rakesh Kaushik
गर ऐसे याद करोगी मुझको,
ReplyDeleteकैसे मै जी पाउँगा ? ??
"कैसे तुम्हे भुलाऊ "
naye saal ki shruaat behtreen klaam se . dhnybaad
गर ऐसे याद करोगी मुझको,
ReplyDeleteकैसे मै जी पाउँगा ? ??
ये शब्द तुम्हारे ....
बाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं
intrusting...
like it...
---meet
शब्दों के साथ आप चित्रों का खजाना कहां से लाती हैं.
ReplyDeleteमौन स्वरों के गलियारे मे,
ReplyDeleteयादो के घाव पग धरते जायें,
अच्छी कविता है.
अच्छी कविता.
ReplyDeleteधन्यवाद.
बहुत खुबसूरत कविता है सीमा जी बेहतरीन कविता के साथ नया साल मुबारक हो
ReplyDeleteगर ऐसे याद करोगी मुझको,
ReplyDeleteकैसे मै जी पाउँगा ? ??
बिल्कुल सही कहा भुला नही सकते वो याद करेंगे तो,,,, कुछ ऐसे ही तार जुड़े होते हैं दो चाहने वालों के बीच फ़िर भी मजबूरियां आ जाती हैं.......
बहुत ही अच्छी काव्य रचना है .......
अक्षय-मन
बहुत सुन्दर कविता . शाबाश !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना, नये साल मै तो आप की कलम कुछ अलग रंग मै आई है.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत खुबसूरत कविता
ReplyDeleteमौन स्वरों के गलियारे मे ,
ReplyDeleteयादो के घाव पग धरते जायें,
"कैसे तुम्हे भुलाऊ "
बढिया भाव. साधुवाद.
सीमा जी नव वर्ष की ढेरो शुभकामनाएं ... बहोत ही सुंदर कविता लिखी है आपने बहोत ही दर्द छुपा है इसमे ....एक गीत याद आगई ...
ReplyDeleteतुझे भुलाना तो चाहा,लेकिन भुला न पाये ..
जितना भुलाना चाहा, तुम उतना याद आए.....
अर्श
सुन्दर अति सुन्दर, सीमा जी बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteSeema ji,
ReplyDeleteBahut sunar aur bhavuktapoorna panktiyan hai.Badhai.
Nav varsh apke jeevan men karodon foolon kee khushboo le aye is mangal kamna ke sath.
Hemant Kumar
गर ऐसे याद करोगी मुझको,
ReplyDeleteकैसे मै जी पाउँगा ? ??
भला ऐसे भी किसी को पूछना चाहिये?
bhoolne ki bhool na karo
ReplyDeleteavgun chit naa dharo
yaaden hi to saharaa hai
bhool ke paanaa chahoge kyaa aakhir?
संकल्प तुम्हारे नृत्य करे और ,
ReplyDeleteबोल गूंज कर प्रणय गीत सुनाये
"कैसे तुम्हे भुलाऊ "
well compsed lines and exploreing the horizon of thoughts too.
regards
ये शब्द तुम्हारे ....
ReplyDeleteबाँध तोड़ संयम के सारे ,
बीते लम्हों के कालीन बिछाएं ,
मौन स्वरों के गलियारे मे ,
यादो के घाव पग धरते जायें,
bahut khoob....hindipar bhi aapka adhikaar prshansa ka paatr hai...aor haan neeche tasveer behad khoobsurat hai...
वाकई ............. सुंदर अभिव्यक्ति.... सीमा जी...
ReplyDeleteKaise tumhe bhulayega, koi?
ReplyDeleteTum unme se nahi, jinhe bhula diya jaye
A very good piece of work, from your pen, again.
Beautifully written
ख़ूबसूरत अहसास !
ReplyDelete"कैसे तुम्हे भुलाऊ "..............मगर भुलाना भी क्यूँ है..........हाँ.........??
ReplyDelete"कैसे तुम्हे भुलाऊ "
ReplyDeletebahut hi sunder bhaw
sach me kisi ko buhla pana kitna muskil hota hai..
Wah..bahut khoob...aapki bhavuk bhari soch kavita aur nazm me aisi dhali ki...raat aankhon se aansu ban para para pighli...
ReplyDeletelikhte rahiye ...is se behtar koyi dawa nahin.