10/10/2008

"वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर"



"वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर"


वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर,
वहीं मैं आजकल रहने लगा हूँ .......

जिगर के दिल के हर एक दर्द से मैं,
रवां दरिया सा इक बहने लगा हूँ .......

सुना दी आईने ने दिल की बातें,
तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ .........

तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........

सुनी सीमा हमारे दिल की बातें ???
तुम्हीं से तो मैं सभी कहने लगा हूँ..........



http://swargvibha.freezoka.com/kavita/all%20kavita/Seema%20Gupta/lagu%20hai.html (http://www.swargvibha.tk/)
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_15.html

31 comments:

  1. वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर,
    वहीं मैं आजकल रहने लगा हूँ .......

    शानदार...अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पर आकर...

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  2. बहुत बढिया लिखा है आपने । बधाई

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  3. वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर,
    वहीं मैं आजकल रहने लगा हूँ .......

    बहुत सुंदर ! शुभकामनाएं !

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  4. बहुत खूबसूरत लफ्ज ! धन्यवाद !

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  5. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........
    लाजवाब .....! बहुत खूबसूरत रचना !

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  6. सुना दी आईने ने दिल की बातें,
    तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ .........

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  7. सीमा जी
    आप ब्लॉग पर आई, धन्यवाद
    आपकी तो हर कविता / गजल अद्भुत होती है.
    क्या कहने, किसी एक पर विशेष टिपण्णी नही कर सकता.

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  8. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........

    सुनी सीमा हमारे दिल की बातें ???
    तुम्हीं से तो मैं सभी कहने लगा हूँ.......

    वाह, क्या बात है सीमा जी, बहुत प्यारी ग़ज़ल है....

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  9. सुनी सीमा हमारे दिल की बातें ???
    तुम्हीं से तो मैं सभी कहने लगा हूँ..........


    kabir raheem aur ab seema

    happy dussehara

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  10. जिगर के दिल के हर एक दर्द से मैं,
    रवां दरिया सा इक बहने लगा हूँ

    bahut khoob kaha seema ji

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  11. सुना दी आईने ने दिल की बातें,
    तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ .........

    सुनी सीमा हमारे दिल की बातें ???
    तुम्हीं से तो मैं सभी कहने लगा हूँ..........

    Kaafi acchi lagi rachna aapki.

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  12. सुना दी आईने ने दिल की बातें,
    तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ .........

    तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........


    bahut khoob seema ji.......bas ek darkhvaast hai aap alag colour kyu istemaal karti hai ?koi khaas vajah.....inhe black rahne degi to achha rahega....ye sirf mera sochna hai..baaki aap jaisa theek samjhe.

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  13. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........


    bhut khoob seema ji, aachi ghazal hai, aapne apne bhavon ko bakhoobi nibhaya hai
    badhai sweekaren

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  14. "Anurag jee, thanks a lot for your suggestion and sharing your thought with me, in fact black color irretates me a lot , may be due to some specific reason..... so i use other colours mostly red..'

    regards

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  15. सुनादी आईने ........पहने लगा हूँ = या तो इस लाइन पर पुनर्विचार की जरूरत है या फिर में इसके गूढ़ भावार्थ को समझ नहीं पाया हूँ

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  16. ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ words nahin hain kuchh kahane ke liye. govind goyal sriganganagar

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  17. बहुत ही सुन्दर, सुन्दर भाव.
    धन्यवाद

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  18. सुना दी आईने ने दिल की बातें,
    तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ .........

    तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........

    अच्छा लिखाहै.

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  19. वहीं पर तुम जहाँ हो काग़जों पर,
    वहीं मैं आजकल रहने लगा हूँ .......

    बहुत सुंदर ! शुभकामनाएं !

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  20. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........


    --बहुत सुन्दर!! वाह!

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  21. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........

    Wah..wah
    बहुत ही सुदर ख्यालों की कविता हमेशा की तरह

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  22. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ.....
    मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियां
    जो सुना नहीं वो कहा करो जो कहा नहीं वो सुना करो
    बशीर बद्र जी के इस अंदाज से भी आगे की कुछ बयाँ करती हैं आपकी
    उक्त लाईनें

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  23. बहुत खूबसूरत ...वाह.

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  24. सुना दी आईने ने दिल की बातें,
    तुम्हे मैं आजकल पहने लगा हूँ ....सौन्दर्यपूर्ण शब्दों से सजी सुंदर कविता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपके मेरे ब्लॉग पर पधारने का धन्यबाद कृपया पुन: पधारे मेरी नई रचना मुंबई उनके बाप की पढने हेतु सादर आमंत्रण

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  25. आपकी पि‍छली पोस्‍ट की लाजवाब पंक्‍ति‍यों से शुरू कर रहा हूँ-
    अब तेरे ख़त भी कम ही आते हैं,
    तेरी तबियत में कुछ हुआ होगा ...

    और
    कुछ ऐसे बदल गये हैं वो हालात की तरह,
    बददुआ भी देतें हैं, तो खैरात की तरह .....

    दो फूल' में उर्दू शायरी की लज्‍जत मि‍ली।
    और आज के गजल में सूफीयाना अंदाज पाया-
    मैं तूझमें- तू मुझमें वाला भाव।

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  26. तुम्हारे साथ हूँ जैसे अज़ल से,
    तुम्हारी बात मैं कहने लगा हूँ........

    सुनी सीमा हमारे दिल की बातें ???
    तुम्हीं से तो मैं सभी कहने लगा हूँ..........

    good lines
    well edited
    regards

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  27. जबरदस्त....लाजवाब....वो क्या कहते हैं ....माईंड....ग्लोविंग कि ब्लोविंग बहुत प्यारी .....बता नहीं सकता !!

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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"