बहुत सही कहा आपने ! इस मकाम पर आकर भूल जाना ? बहुत मुश्किल होगा ! शायद माफी भी ....? शायद पोइट्री हमें भी समझ आने लग गई है ! अनेको धन्यवाद और शुभकामनाएं !
काव्य लेखन में आपने एक ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है जहाँ पर पहुँच कर आप में भावों को शब्दों का जामा पहना कर दुनिया को असमंजस में डालने की सक्षमता आ गई है और पढने वाले क्या कल्पना है क्या सत्यता है में कोई अंतर न कर सकें. कईयों को लगता है की आपकी कविता का केंद्र बिंदु आपकी अपनी जिंदगी होगी ....पर मुझे तो ऐसा ही लगता है की आप ने जो कहा है वह मेरी भी कहानी है .. आप की भी हों सकती है ..और हर पाठक की कहानी है ......कविता में व्यक्तिक व्यवहार दिखना उसकी कलात्मकता हों सकती है पर सार्वभौमिकता होना उसका सच्चा गुण होता है .....एक और अच्छी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद
wah kya baat hai! nice
ReplyDeleteNostalgic obsession !All good wishes to author to come out of the dilemma asap !
ReplyDeleteSubhanalla.
ReplyDeleteshayad aapki in lino ne hume bhi aapke beete hue kal me jhakne ka mauka de diya.
ReplyDeleteit's really a fine experience.
Rakesh Kaushik
बहुत खूब ...पंक्तियाँ लगी
ReplyDeleteसीमा जी
ReplyDeleteबहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति!!!
बधाई
bahut khoob
ReplyDeleteतुमसे मुलाकात हो भी जाए...
ReplyDelete"वो दर्द-ऐ-गम",
तेरे लिए जो सहे मैंने,
उनको दिल कैसे भूल जाए...
वाह सीमा जी बहुत ही अच्छा
जिन्दगी की ढलती शाम के ,
ReplyDeleteकिसी चोराहे पर,
तुमसे मुलाकात हो भी जाए...
"वो दर्द-ऐ-गम",
तेरे लिए जो सहे मैंने,
उनको दिल कैसे भूल जाए...
बहुत सही कहा आपने ! इस मकाम
पर आकर भूल जाना ? बहुत मुश्किल
होगा ! शायद माफी भी ....?
शायद पोइट्री हमें भी समझ आने
लग गई है ! अनेको धन्यवाद और
शुभकामनाएं !
aapka ye andaaj jyada achha hai mohtarma......
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा
ReplyDeleteBahut khub.
ReplyDeleteकाव्य लेखन में आपने एक ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है जहाँ पर पहुँच कर आप में भावों को शब्दों का जामा पहना कर दुनिया को असमंजस में डालने की सक्षमता आ गई है और पढने वाले क्या कल्पना है क्या सत्यता है में कोई अंतर न कर सकें. कईयों को लगता है की आपकी कविता का केंद्र बिंदु आपकी अपनी जिंदगी होगी ....पर मुझे तो ऐसा ही लगता है की आप ने जो कहा है वह मेरी भी कहानी है .. आप की भी हों सकती है ..और हर पाठक की कहानी है ......कविता में व्यक्तिक व्यवहार दिखना उसकी कलात्मकता हों सकती है पर सार्वभौमिकता होना उसका सच्चा गुण होता है .....एक और अच्छी रचना पढ़वाने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteजिन्दगी की ढलती शाम के ,
ReplyDeleteकिसी चोराहे पर,......
क्या बात हे आप की कविता ने हमारे दिल की बात कह दी.
धन्यवाद
kiya kuhb likha hai
ReplyDeleteजिन्दगी की ढलती शाम के ,
किसी चोराहे पर,
तुमसे मुलाकात हो भी जाए...
"वो दर्द-ऐ-गम",
तेरे लिए जो सहे मैंने,
उनको दिल कैसे भूल जाए...