tag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post6314308279972930996..comments2024-01-10T20:17:34.221+05:30Comments on kuchlamhe: "चांदनी पीती रही"seema guptahttp://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-33066424923979649342011-03-24T19:48:25.312+05:302011-03-24T19:48:25.312+05:30हसरतों के थान को
दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के...हसरतों के थान को<br />दीमक लगी हो वक़्त की<br />बेचैनियों के वर्क में<br />उम्र ऐसी बीती रही...................ज़िन्दगी की तल्ख़ सच्चाइयों को उजागर करती हुई भावपूर्ण दर्द से लबरेज़ कुछ अनकहे प्रश्न उठती हुई सुन्दर कविता सीमा जी इस कविता की रचना करना भी कलेजे का काम है.....बधाई स्वीकार करेंHadi Javedhttps://www.blogger.com/profile/14977680896918498806noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-84858812617131614012011-02-24T16:56:08.494+05:302011-02-24T16:56:08.494+05:30सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति !सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-87510005482631255262011-02-24T11:54:31.448+05:302011-02-24T11:54:31.448+05:30बहुत खूब सीमा जी ....शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर कवि...बहुत खूब सीमा जी ....शुभकामनायें !<br />बहुत सुन्दर कविता ...वाहDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-39913106721772415902011-02-23T18:35:22.505+05:302011-02-23T18:35:22.505+05:30हसरतों के थान को
दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के...हसरतों के थान को<br />दीमक लगी हो वक़्त की<br />बेचैनियों के वर्क में<br />उम्र ऐसी बीती रही <br />बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति खुबसूरत अहसासों की अच्छी लगी , बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-19108393438957063002011-02-16T21:06:47.387+05:302011-02-16T21:06:47.387+05:30हसरतों के थान को
दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के...हसरतों के थान को<br />दीमक लगी हो वक़्त की<br />बेचैनियों के वर्क में<br />उम्र ऐसी बीती रही<br /><br />बड़े नए नए प्रतीक और बिम्ब देखने को मिले आपकी कविता में.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-69074107982036701552011-02-16T13:09:16.699+05:302011-02-16T13:09:16.699+05:30हसरतों के थान को
दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के...हसरतों के थान को<br />दीमक लगी हो वक़्त की<br />बेचैनियों के वर्क में<br />उम्र ऐसी बीती रही ...<br /><br />अधूरी हसरतों के साथ जीना आसान नहीं होता ... उम्र भर एक प्यास का एहसास रहता है ... बेचैनी सी रहती है ...<br />बहुत गहरी अनुभूति से गुजारती है ये रचना ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-85546374874378595652011-02-15T12:41:11.007+05:302011-02-15T12:41:11.007+05:30बहुत सुन्दर कविता ...वाहबहुत सुन्दर कविता ...वाहडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-52390133351734680772011-02-10T16:48:38.778+05:302011-02-10T16:48:38.778+05:30बहुत सुंदर सीमा जी, धन्यवादबहुत सुंदर सीमा जी, धन्यवादसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-42791407030970280492011-02-10T11:36:34.721+05:302011-02-10T11:36:34.721+05:30प्रिय सीमा गुप्ता जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
...<b><i>प्रिय सीमा गुप्ता जी </i></b> <br />सादर सस्नेहाभिवादन !<br /> <br /><b>आँखे सुराही घूंट घूंट<br />चांदनी पीती रही </b> <br /><b> </b> वाऽऽह ! क्या बात है … <br /><br />आपकी पुरानी पोस्ट्स भी देखी …<br /> बहुत ख़ूबसूरत भाव हैं आपकी रचनाओं में । <br />मुबारकबाद !<br /><br />आपका ब्लॉग भी इतना सुंदर है … ऊपर - नीचे हर कहीं जैसे ख़ूबसूरत फूल महक रहे हैं … अरे ! ये तो आपकी तस्वीरें हैं … :)<br /><br /><b> बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !</b> <br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-36125783631701215832011-02-08T12:16:15.967+05:302011-02-08T12:16:15.967+05:30"दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के वर्क में
उ..."दीमक लगी हो वक़्त की<br />बेचैनियों के वर्क में<br />उम्र ऐसी बीती रही"<br /><br />लाजवाब <br />गजब की पंक्तियाँ हैं <br />ऐसा लगा जैसे गुलज़ार को पढ़ रहे हैं <br />बधाई <br />आभारCreative Manchhttps://www.blogger.com/profile/06744589000725201971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-52383425378950008762011-02-07T23:36:32.850+05:302011-02-07T23:36:32.850+05:30बहुत सुंदर सीमा जी, धन्यवादबहुत सुंदर सीमा जी, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-89264352207910829352011-02-07T22:46:43.120+05:302011-02-07T22:46:43.120+05:30आपकी रचनाएँ हमेशा ही ताजगी का एहसास कराती हैं!आपकी रचनाएँ हमेशा ही ताजगी का एहसास कराती हैं!संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-89209033223443490012011-02-07T18:47:37.109+05:302011-02-07T18:47:37.109+05:30बहुत खूबसूरत,आभार.बहुत खूबसूरत,आभार.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-32257934638400899492011-02-07T18:23:59.951+05:302011-02-07T18:23:59.951+05:30सीमा जी प्रणाम !
"नींद उघडे तन लिए
पैरहन खुद...सीमा जी प्रणाम !<br /><br />"नींद उघडे तन लिए<br />पैरहन खुद ही सीती रही"<br /><br />वाह क्या बात कही है.....हम तो कायल हो गए आपकी लेखनी के ... बहुत खूब !Pradeephttps://www.blogger.com/profile/11889016060575376117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-11289812640209207512011-02-07T16:15:46.835+05:302011-02-07T16:15:46.835+05:30आँखे सुराही घूंट घूंट
चांदनी पीती रही
इश्क की बदना...<b>आँखे सुराही घूंट घूंट<br />चांदनी पीती रही<br />इश्क की बदनाम रूहें<br />अनकहे राज जीती रही</b><br /><br />अत्यंत भावपूर्ण और सशक्त रचना, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-73741933679707798822011-02-07T12:41:34.620+05:302011-02-07T12:41:34.620+05:30pyari si rachna...badhai.:)pyari si rachna...badhai.:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-7190335946993652662011-02-07T11:15:27.086+05:302011-02-07T11:15:27.086+05:30बहुत खूब सीमा जी ....शुभकामनायें !बहुत खूब सीमा जी ....शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-3048672982249635112011-02-07T10:55:46.967+05:302011-02-07T10:55:46.967+05:30सीमा जी आपकी रचना पढ़ के मुझे वो गाना याद आ गया, &q...सीमा जी आपकी रचना पढ़ के मुझे वो गाना याद आ गया, "रात भर बैरन निगोड़ी चांदनी चुभती रही", फिल्म आप की कसम से!<br />आपकी रचनाएँ हमेशा ही ताजगी का एहसास कराती हैं!<br />आफरीन!सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2493539525482521639.post-41044168905774087742011-02-07T09:46:23.463+05:302011-02-07T09:46:23.463+05:30बहुत अच्छी जानकारी है पत्रिका के बारे मे। लेकिन मै...बहुत अच्छी जानकारी है पत्रिका के बारे मे। लेकिन मै तो आपकी कविता पढ रही हूँ और पढे जा रही हूँ<br />आँखे सुराही घूंट घूंट<br />चांदनी पीती रही<br />कहाँ से ऐसे एहसास ढूँढ कर लाती हैं?<br /><br />दीमक लगी हो वक़्त की<br />बेचैनियों के वर्क में<br />उम्र ऐसी बीती रही<br />वाह बहुत भावमय रचना है बधाई। <br />निर्मला कपिलानिर्मला कपिलाhttp://veerbahuti.blogspot.com/noreply@blogger.com