"तबियत कुछ बहलने सी लगी है "
हवा पुर कैफ चलने सी लगी है
तबियत कुछ बहलने सी लगी है
नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
पुरानी रुत बदलने सी लगी है
है उसका ज़िक्र लेकिन वो नहीं है
कमी हर वक़्त खलने सी लगी है
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है
सुनी है चाप जब से उसकी "सीमा"
मेरी भी साँस चलने सी लगी है
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
ReplyDeleteउम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है..
वाह,बहुत खूबसूरत .
achchhi rachna......badhai swikaren....
ReplyDeletebehtareen.......
ReplyDeleteनया सा ख्वाब आँखों में सजा है
ReplyDeleteपुरानी रुत बदलने सी लगी है
बहुत ही उम्दा और लाजवाब, शुभकामनाएं.
रामराम
रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
ReplyDeleteउम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है
खूबसूरत गज़ल ..
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल।
ReplyDeleteग़ज़ल का हर एक अशआर बहुत खूबसूरत है!
ReplyDeleteहवा पुर कैफ चलने सी लगी है
ReplyDeleteतबियत कुछ बहलने सी लगी है
बेहद खूबसूरत मतला
बहुत खूब गज़ल कि जिसका मतला ता मकता दिल की गहराई से निकल कर जैसे ज़बान पर आकार फिजा मैं गूंज रहा हो बहुत ही खूबसूरत गज़ल
मुबारकबाद
"purani rut badalne-si lagi hai.."
ReplyDeletemisraa, apni baat keh rahaa hai
gazal ka har sher taazgi aur shiguft`gi se bharpoor hai
mubarakbaad .
umdaa gazal...!!
ReplyDeleteरखा है एक दिया चौखट पे हम ने
ReplyDeleteउम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है ...
बहुत लाजवाब ... बैचेनी लिए अलफ़ाज़ .. कमाल की गज़ल है ...
क्या बात है, बहुत सुंदर
ReplyDeleteThere are no words to say.
ReplyDeleteAll the Best
ग़ज़ल का मतला जबस्द्स्त है सीमा जी और शेर भी कुछ कम नहीं मुबारक हो
ReplyDeleteनया सा ख्वाब आँखों में सजा है
ReplyDeleteपुरानी रुत बदलने सी लगी है
लाजवाब गज़ल
शुभकामनाएं!
नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
ReplyDeleteपुरानी रुत बदलने सी लगी है
-बेहतरीन!!!
bahut hi sunder rachna
ReplyDeletedhero badhiyan sawikar kare
bahut hi behtren
ReplyDeletebadhiyan sawikar kare
Very Very Nice Blog Thanks for sharing with us
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