7/02/2011

"तबियत कुछ बहलने सी लगी है "



हवा पुर कैफ चलने सी लगी है
तबियत कुछ बहलने सी लगी है

नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
पुरानी रुत बदलने सी लगी है

है उसका ज़िक्र लेकिन वो नहीं है
कमी हर वक़्त खलने सी लगी है

रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है

सुनी है चाप जब से उसकी "सीमा"
मेरी भी साँस चलने सी लगी है

19 comments:

  1. रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
    उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है..
    वाह,बहुत खूबसूरत .

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  2. नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
    पुरानी रुत बदलने सी लगी है

    बहुत ही उम्दा और लाजवाब, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  3. रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
    उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है

    खूबसूरत गज़ल ..

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  4. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल।

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  5. ग़ज़ल का हर एक अशआर बहुत खूबसूरत है!

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  6. हवा पुर कैफ चलने सी लगी है
    तबियत कुछ बहलने सी लगी है
    बेहद खूबसूरत मतला
    बहुत खूब गज़ल कि जिसका मतला ता मकता दिल की गहराई से निकल कर जैसे ज़बान पर आकार फिजा मैं गूंज रहा हो बहुत ही खूबसूरत गज़ल
    मुबारकबाद

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  7. "purani rut badalne-si lagi hai.."
    misraa, apni baat keh rahaa hai
    gazal ka har sher taazgi aur shiguft`gi se bharpoor hai
    mubarakbaad .

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  8. रखा है एक दिया चौखट पे हम ने
    उम्मीद -ए -शाम ढलने सी लगी है ...

    बहुत लाजवाब ... बैचेनी लिए अलफ़ाज़ .. कमाल की गज़ल है ...

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  9. क्या बात है, बहुत सुंदर

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  10. There are no words to say.
    All the Best

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  11. ग़ज़ल का मतला जबस्द्स्त है सीमा जी और शेर भी कुछ कम नहीं मुबारक हो

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  12. नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
    पुरानी रुत बदलने सी लगी है

    लाजवाब गज़ल
    शुभकामनाएं!

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  13. नया सा ख्वाब आँखों में सजा है
    पुरानी रुत बदलने सी लगी है

    -बेहतरीन!!!

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  14. bahut hi sunder rachna

    dhero badhiyan sawikar kare

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  15. bahut hi behtren

    badhiyan sawikar kare

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  16. Very Very Nice Blog Thanks for sharing with us

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