9/21/2010

"हाँ तुम मेरी धडकनों में महफूज रह सकती हो"

"हाँ तुम मेरी धडकनों में महफूज रह सकती हो"

"आदरणीय सलीम प्रदीप जी की पुस्तक " महबूबा से महबूब तक " तक पढने का मौका मिला , और उस पर अपने कुछ विचार व्यक्त किये, जिन्हें "युध्भूमि" के ताजा अंक " उफ़! ये मोहब्बत " में स्थान मिला, अपने इस गौरव और सम्मान को आप सभी से बाँट रही हूँ"





16 comments:

  1. इस कृति से परिचय और समीक्षा के लिए शुक्रिया !

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  2. आपको धन्यवाद यह समीक्षा पढ़वाने के लिये...

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  3. "sarhade isq ki yun tay na karo
    isq se sari kaynat haari hai"

    bahut khub....dhanyawad mera bhi ek achchhi samiksha se ru-b-ru karwane ke liye...:)

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  4. उपरोक्त टिप्पणियों के साथ हम भी अपना सुर मिला रहे हैं. आभार.

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  5. Prabha Dash21/9/10 2:53 PM

    Dear Seema Madam
    My heartly congratulation for such a beautiful write up you have identified a new dimension in the tale of love and pain. The way you have felt the pain of the charactrs Iam assuming that you really went to the imagination of the Author of this novel and were there during the conversation of the characters.
    You have done full justice to the the Love story.
    With Best Regards
    Prabha Dash

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  6. इतनी लाजवाब समीक्षा और सुंदर कृति का परिचय देने का धन्यवाद ........

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  7. वैसे भी प्रेम गाथाएं हमेशा ही आकर्षित करती हैं और कालिदास और राधा के प्रेम की कहानी लिए इस पुस्तक की समीक्षा आप ने इतनी सुदंर की है कि पुस्तक पढ़ने को मन लालायित हो उठा.
    अभी अभी हिमांशु जोशी का 'तुम्हारे लिए'उपन्यास पढ़ा है और मन अभी भी वहीं अटका हुआ है.

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  8. सीमा जी सब से पहले क्षमा चाहूँगी बहुत दिन के बाद आयी। मेरी पुरानी ब्लागलिस्ट गलती से डिलीट हो गयी थी आज आपका लिन्क मिला तो खुशी हुयी। इस समीक्षा और सम्मान के लिये बधाई।

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  9. 'महबूबा से महबूब' से मिलवाने का शुक्रिया।

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  10. वाह बहुत बढ़िया समीक्षा की है आपने सीमा वाकई पढने का मन हो आया है

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  11. वाह, सुन्दर पुस्तक...सुन्दर समीक्षा.

    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

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  12. सही समीक्षा और परिचय भी ।

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  13. आदरणीया सीमाजी

    नमस्कार ! आदाब ! सलाम !
    आप सोचेंगी , तीन तीन अभिवादन एक साथ कैसे ! वो ऐसे कि मुझे बहुत पहले आपके यहां आ जाना चाहिए था , … जाने कितने अभिवादन बकाया हैं अभी ! :)
    आपके ब्लॉग - ख़ज़ाने के कई हीरे मोती , बहुत सारी ख़ूबसूरत सुरीली काव्य प्रस्तुतियों के रूप में अपने दामन में भर कर जिस सुकून और ख़ुशी को पाया है , बयान करना मुश्किल है ।

    समीक्षित पुस्तक के लेखक और समीक्षा छापने वाले संपादक को बधाई है ,जिन पर आप जैसी हुनरमंद फ़नकार ने मेहरबानी की !!

    आते रहना पड़ेगा बार बार …

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  14. सीमा जी, कवियत्री, पहेली साम्राज्ञी के बाद पुस्तक समीक्षक के रूप में आपको देखकर अतीव प्रसन्नता हुई।

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  15. NICE VERY NICE

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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"