7/19/2010

"चाँद मुझे लौटा दो ना "

"कुछ शिकवो के मौसम हैं और कुछ आवारा से ख्यालातों की बेख्याली भी है , इन्ही शब्दों के जखीरे के साथ एक कविता "चाँद मुझे लौटा दो ना " को यहाँ सुनियेगा..... "




"चाँद मुझे लौटा दो ना "

चंदा से झरती
झिलमिल रश्मियों के बीच
एक अधूरी मखमली सी
ख्वाइश का सुनहरा बदन
होले से सुलगा दो ना

इन पलकों में जो ठिठकी है
उस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना

बेचैन उमंगो का दरिया
पल पल अंगडाई लेता है
आकर फिर सहला दो ना
छु कर के अपनी सांसो से
मेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना

31 comments:

  1. रचना पढ़कर और आपका स्वर सुनकर अच्छा लगा!

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  2. इतनी मधुर कविता कि गुनगुनाने का मन करता है ...हार्दिक शुभकामनाये !

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  3. बहुत सुन्दर.. बहुत खुब..

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  4. बेहद सुन्दर प्रस्तुति।

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  5. bada hi mohak aur alhad sa aagrah hai..ekdam nayab nazm ! :)

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  6. छु कर के अपनी सांसो से
    मेरे हिस्से का चाँद कभी
    मुझको भी लौटा दो ना ..

    जितनी खूबसूरत रचना है उतना ही लाजवाब स्वर है .... हर पंक्ति किसी दूसरी दुनिया में ले जाती है जहाँ बस दो आत्माओं के अलावा कोई नज़र नही आता ... जहाँ बस साँसों की आवाज़ होती है ...
    बहुत लाजवाब .... उम्दा ...

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  7. मेरे हिस्से का चाँद .. अपने आप मे यह एक कविता है ।

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  8. seema ji...

    wah wah wah....

    kya baat...kya baat...kya baat...

    you have a very lovely voice..

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  9. "मेरे हिस्से का चाँद कभी
    मुझको भी लौटा दो ना ..."
    -
    वाह....बहुत खूब
    -
    अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुति
    आज पहली बार आपको काव्य-पाठ करते सुना
    क्या दिलकश अंदाज है
    बहुत सलीके से आप पढ़ती हैं
    -
    -
    बहुत ही अच्छा लगा
    आभार एवं शुभ कामनाएं

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  10. आपकी आज की यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी... I just want to say.... YOU ARE AMAZING......

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  11. वाह जी वाह बहुत सुंसर लगी आप की मधुर आवाज को सुंदर कविता उस आवाज मै

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  12. क्या बात है!
    आप को सुनकर बहुत ही खुशी हुई.बहुत अच्छा लगा कि आप पॉडकास्टिंग कर रही हैं ,अब से हर कविता की पोस्ट ,स्वर में भी चाहिए :).
    प्रस्तुति प्रभावशाली है.कविता भावपूर्ण है.
    शुभकामनाएं.
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  13. yea..Blog's new look is great :)

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  14. कोमल एहसास लिये नाजुक सी रचना ।

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  15. बड़ी रूमानी लगी. आभार.

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  16. गहनतम अहसासों की आपकी कविताओं को पढ़कर सांस तो थम ही जाती थी और अब सुनकर तो लगता है दिल की चंद धड़कने ही जुदा हो गयीं हों (सच्ची -नो अतिशयोक्ति ) -उसी सिलसिले की यह नयी कविता ...उफ़ !

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  17. इन पलकों में जो ठिठकी है
    उस सुबह को अपनी आहट से
    एक बार जरा अलसा दो ना
    सुंदर कविता...

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  18. बहुत ही अच्छा लिखा है !

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  19. सीमा जी, आपकी कविता की रवानी का जवाब नहीं। मन में उतर गये भाव।
    बहुत बहुत बधाई।
    ………….
    अथातो सर्प जिज्ञासा।
    संसार की सबसे सुंदर आँखें।

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  20. seema ji ,

    aapki kavita me jo meethe meethe namr bhaavnaaye hoti hai , unka kya kahna , is kavita ki kuch bhi tareef karna , isko kam aankna hai ,... aakhri para jabardasht hai .. badhayi sweekar kare..

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  21. क्या कहा जाये इसके अलावा कि लाजबाव है, शानदार है. उत्कृष्ट रचना और ऊपर से सुमधुर.

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  22. बहुत सुंदर कल्पना, और उससे भी ज्यादा सुंदर अभिव्यक्ति।
    --------
    ये साहस के पुतले ब्लॉगर।
    व्यायाम द्वारा बढ़ाएँ शारीरिक क्षमता।

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  23. बहुत सुंदर शब्द दिए हैं अपने एहसासो को.
    सुंदर कविता.

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  24. seema ji ,
    bahut hi komal bhav hai aapki kavita me.
    poonam

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  25. rumaniyat bhare shabd........

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  26. हमेशा की तरह लाजवाब करती कविता।
    --------
    सावन आया, तरह-तरह के साँप ही नहीं पाँच फन वाला नाग भी लाया।

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  27. ’तस्‍लीम’ द्वारा आयोजित चित्र पहेली-86 को बूझने की हार्दिक बधाई।
    ----------------

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  28. Very good blog is this.

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  29. बेचैन उमंगों का दरिया पल पल अंगड़ाई लेता है।
    ख़ूबसूरत रचना के लिये मुबारक बाद।

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