"कुछ शिकवो के मौसम हैं और कुछ आवारा से ख्यालातों की बेख्याली भी है , इन्ही शब्दों के जखीरे के साथ एक कविता "चाँद मुझे लौटा दो ना " को यहाँ सुनियेगा..... "
"चाँद मुझे लौटा दो ना "
चंदा से झरती
झिलमिल रश्मियों के बीच
एक अधूरी मखमली सी
ख्वाइश का सुनहरा बदन
होले से सुलगा दो ना
झिलमिल रश्मियों के बीच
एक अधूरी मखमली सी
ख्वाइश का सुनहरा बदन
होले से सुलगा दो ना
इन पलकों में जो ठिठकी है
उस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना
उस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना
बेचैन उमंगो का दरिया
पल पल अंगडाई लेता है
आकर फिर सहला दो ना
पल पल अंगडाई लेता है
आकर फिर सहला दो ना
छु कर के अपनी सांसो से
मेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना
मेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना

रचना पढ़कर और आपका स्वर सुनकर अच्छा लगा!
ReplyDeleteइतनी मधुर कविता कि गुनगुनाने का मन करता है ...हार्दिक शुभकामनाये !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.. बहुत खुब..
ReplyDeleteबेहद सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletebada hi mohak aur alhad sa aagrah hai..ekdam nayab nazm ! :)
ReplyDeleteछु कर के अपनी सांसो से
ReplyDeleteमेरे हिस्से का चाँद कभी
मुझको भी लौटा दो ना ..
जितनी खूबसूरत रचना है उतना ही लाजवाब स्वर है .... हर पंक्ति किसी दूसरी दुनिया में ले जाती है जहाँ बस दो आत्माओं के अलावा कोई नज़र नही आता ... जहाँ बस साँसों की आवाज़ होती है ...
बहुत लाजवाब .... उम्दा ...
मेरे हिस्से का चाँद .. अपने आप मे यह एक कविता है ।
ReplyDeleteseema ji...
ReplyDeletewah wah wah....
kya baat...kya baat...kya baat...
you have a very lovely voice..
"मेरे हिस्से का चाँद कभी
ReplyDeleteमुझको भी लौटा दो ना ..."
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वाह....बहुत खूब
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अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुति
आज पहली बार आपको काव्य-पाठ करते सुना
क्या दिलकश अंदाज है
बहुत सलीके से आप पढ़ती हैं
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बहुत ही अच्छा लगा
आभार एवं शुभ कामनाएं
आपकी आज की यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी... I just want to say.... YOU ARE AMAZING......
ReplyDeleteवाह जी वाह बहुत सुंसर लगी आप की मधुर आवाज को सुंदर कविता उस आवाज मै
ReplyDeleteगजब !!
ReplyDeleteक्या बात है!
ReplyDeleteआप को सुनकर बहुत ही खुशी हुई.बहुत अच्छा लगा कि आप पॉडकास्टिंग कर रही हैं ,अब से हर कविता की पोस्ट ,स्वर में भी चाहिए :).
प्रस्तुति प्रभावशाली है.कविता भावपूर्ण है.
शुभकामनाएं.
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yea..Blog's new look is great :)
ReplyDeleteकोमल एहसास लिये नाजुक सी रचना ।
ReplyDeleteबड़ी रूमानी लगी. आभार.
ReplyDeleteगहनतम अहसासों की आपकी कविताओं को पढ़कर सांस तो थम ही जाती थी और अब सुनकर तो लगता है दिल की चंद धड़कने ही जुदा हो गयीं हों (सच्ची -नो अतिशयोक्ति ) -उसी सिलसिले की यह नयी कविता ...उफ़ !
ReplyDeleteइन पलकों में जो ठिठकी है
ReplyDeleteउस सुबह को अपनी आहट से
एक बार जरा अलसा दो ना
सुंदर कविता...
बहुत ही अच्छा लिखा है !
ReplyDeleteसीमा जी, आपकी कविता की रवानी का जवाब नहीं। मन में उतर गये भाव।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
sundar rachna
ReplyDeleteseema ji ,
ReplyDeleteaapki kavita me jo meethe meethe namr bhaavnaaye hoti hai , unka kya kahna , is kavita ki kuch bhi tareef karna , isko kam aankna hai ,... aakhri para jabardasht hai .. badhayi sweekar kare..
क्या कहा जाये इसके अलावा कि लाजबाव है, शानदार है. उत्कृष्ट रचना और ऊपर से सुमधुर.
ReplyDeleteबहुत सुंदर कल्पना, और उससे भी ज्यादा सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDelete--------
ये साहस के पुतले ब्लॉगर।
व्यायाम द्वारा बढ़ाएँ शारीरिक क्षमता।
बहुत सुंदर शब्द दिए हैं अपने एहसासो को.
ReplyDeleteसुंदर कविता.
seema ji ,
ReplyDeletebahut hi komal bhav hai aapki kavita me.
poonam
rumaniyat bhare shabd........
ReplyDeleteहमेशा की तरह लाजवाब करती कविता।
ReplyDelete--------
सावन आया, तरह-तरह के साँप ही नहीं पाँच फन वाला नाग भी लाया।
’तस्लीम’ द्वारा आयोजित चित्र पहेली-86 को बूझने की हार्दिक बधाई।
ReplyDelete----------------
Very good blog is this.
ReplyDeleteबेचैन उमंगों का दरिया पल पल अंगड़ाई लेता है।
ReplyDeleteख़ूबसूरत रचना के लिये मुबारक बाद।