10/26/2009

"किस्मत का उपहास"


"किस्मत का उपहास"

हर बीता पल इतिहास रहा,
जीना तुझ बिन बनवास रहा
ये चाँद सितारे चमके जब जब
इनमे तेरा ही आभास रहा

चंचल हुई जब जब अभिलाषा,

तब प्रेम प्रीत का उल्लास रहा,
तेरी खातिर कण कण पुजा
पत्थरों में भगवन का वास रहा

विरह के नगमे गूंजे कभी
कभी सन्नाटो का साथ रहा
गुजरे दिन आये याद बहुत
"किस्मत" का कैसा उपहास रहा.




















http://swargvibha.freevar.com/oct2009/Gazal/list.html
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2009/11/blog-post.html

35 comments:

  1. आज उपहास ्ही किस्मत का दुसरा नाम है

    खुबसुरत भाव

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  2. हर बीता पल इतीहास रहा,
    जीना तुझ बिन बनवास रहा
    ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा...
    haan! kisi ke bina to banwaas hi jeene ke baraabar hota hai...

    विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.

    kismat ka uphaas raha... yeh panktiyan bahut achchi lagin....

    bahut behtareen kavita...

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  3. हर बीता पल इतीहास रहा,
    जीना तुझ बिन बनवास रहा
    ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा...
    haan! kisi ke bina to banwaas hi jeene ke baraabar hota hai...

    विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.

    kismat ka kaisa uphaas raha... yeh panktiyan bahut achchi lagin....

    bahut behtareen kavita...

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  4. विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.
    सीमा जी लाजवाब अभिव्यक्ति है पूरी रचना ही बहुत सी संवेदनाओं को शब्दों मे सहेज कर अपना नगमा सुना रही हैं। शःऊभःआखाआंआनायें

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  5. बहुत भावुक कर देने वाली पोस्ट. रचना काफी दिनों बाद पढ़ने मिली . आभार.

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  6. बहुत बेहतरीन कविता,,,,,,,,,
    अभिनन्दन !

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  7. खूबसूरत रचना. अंतिम पंक्ति तो जान है. चित्र भी बेहद आकर्षक.

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  8. बहुत खूबसूरत रचना .. बधाई !!

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  9. जीना तुझ बिन बनवास रहा

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों का चयन, लाजवाब पंक्तियों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  10. ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा...

    बहुत लाजवाब !

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  11. चंचल हुई जब जब अभिलाषा,
    तब प्रेम प्रीत का उल्लास रहा,
    तेरी खातिर कण कण पुजा
    पत्थरों में भगवन का वास रहा

    बहुत लाजवाब. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  12. ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा
    बहुत ही उत्तम श्रेणी की कविता लगी..
    मीत

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  13. विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा
    kya panktiyan hain

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  14. विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.

    सीमा जी आपकी रचनाओ सरलता और सहजता बहुत ही आसानी से आ जाती है जिसका जवाब नही..........बहुत बहुत खुब !

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  15. विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.
    आप ने किस्मत के इस उपहास को बहुत सुंदर शव्दो से सजाया, बहुत खुब
    धन्यवाद

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  16. seemaji, rachna to hamesha ki tarah achhi hai hi, chitra bhi aap rachna ke anukool hi lagati hain. prastuti ka star badh jata hai.

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  17. ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा
    ===
    आपकी रचना को पढना
    एक खूबसूरत एहसास रहा

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  18. हर बीता पल इतीहास रहा,
    जीना तुझ बिन बनवास रहा
    ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा ........

    कुछ याद में खोई........... कुछ विछोहे में पली............ कुछ एहसास में जीती हुयी सजीव रचना है .......... बहुत अच्छी ...... गहरी और जज्बातों को उकेरती रचना है .......

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  19. गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.

    आह!!


    उम्दा!!

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  20. विरह के नगमे गूंजे कभी
    कभी सन्नाटो का साथ रहा
    गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा

    .......................जिन्दगी से मेल खाती शास्वत रचना .जाने कितने ही मौकों , कितने मोडों पर जिन्दगी हमसे ये उपहास कर जाती है,जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए मुझसे भी मेरी जिंदगी ने ऐसा ही उपहास किया लेकिन मैंने उसे किस्मत का उपहास नहीं कहा .....

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  21. इतीहास को इतिहास कर लें ।

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  22. @ आदरणीय शरद जी, ध्यान दिलाने का आभार ठीक कर लिया है.
    regards

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  23. तेरी खातिर कण कण पुजा
    पत्थरों में भगवन का वास रहा

    prembhaav aur samarpan darshati kavita mein bhaav-abhivyakti khoob achchhee hui hai.
    bahut sundar !

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  24. बहुत सुंदर एवं मनमोहक रचना ...

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  25. ये चाँद सितारे चमके जब जब
    इनमे तेरा ही आभास रहा

    achhaa ehsaas hai
    bhaav-poorn rachnaa ke liye
    b a d h a a e e

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  26. समय की मार को आपने कविता के रूप में बहुत ही नफासत से सजाया है। बधाई स्वीकारें।
    --------
    स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
    चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।

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  27. जलती बुझती कसक पुरानी
    हाय ये है कैसी नादानी

    तेरी रचना में दिखती है

    यूँ जीवन की करुण कहानी

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  28. प्रेम परिधि में व्यथा गृहित है जीवन की करुण कहानी
    पल पल प्रेम लालसा प्रेरित करती जलती बुझती कसक पुरानी

    मन बैठा है प्रेयसी के हाथों को अपने हाथ लिए
    विचरण करता यादों की वादी में बाँहों में भर साथ लिए
    छुब्ध हुआ जाता है मन सूना सूना सा,प्रेयसी से दूरी का एहसास लिए
    प्रण बंधन को तोड़ चली हो जैसे प्रलै प्रहार कर आत्म ग्लानि
    घाव प्रगाढ़ भरने से वंचित, कैसी बन बैठी मान हानि

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  29. आपकी यह कविता बहुत सुंदर बन पडी है। सच कह रहा हूं अभिभूत हूँ इसे पढकर।

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  30. char dip jalaaye hamne
    pahlaa shaanti ka
    dusaraa vishwas ka
    teesraa prem ka
    pahlaa diya aatank ki aandhi me bujh gaya
    dusaraa dage se
    teesaraa samay aur nafrat se

    magar chauth diyaa jaltaa raha aur usine teeno ko fir jalaayaa wah thaa
    ummeed kaa

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  31. kaisa uphaas raha
    virah ke geet likhe.
    chand sitaare patthar
    sabhi me aap dikhe.
    wah ri duniyaa khayaalon ki
    kismat kaa rahe rona,
    khushiyaa to thik
    aaj aansu bhi ja bike

    correct puja to pooja

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  32. गुजरे दिन आये याद बहुत
    "किस्मत" का कैसा उपहास रहा.


    बहुत सुंदर कविता
    जज्बातों की सजीव रचना
    शुभकामनाएं


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