
'तुम चुपके से आ जाना "
सूरज जब मद्धम पड़ जाये
और नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2009/10/blog-post.html
झाँक के मेरी आँखों मे
ReplyDeleteएक पल में सदियाँ जी जाना
बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.
रामराम.
सुन्दर्।
ReplyDeleteमै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
वाह! आपने हमेशा की तरह भाव विभोर कर दिया।
शुक्रिया।
बहुत ही खुबसूरत रचना है सीमा जी पूरी तरह से प्रवाह में ... हिंदी की तथाकथित ऐसी रचनाएँ कम ही मिलती है पढ़ने को , जिस में रेशमी आँचल इंतज़ार में बैठा हुआ है... बहुत ही मखमली अंदाज़ ..
ReplyDeleteअर्श
'चंदा की थाली निखरी हो
ReplyDeleteतारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से'
-बहुत ही आकर्षक पंक्तियाँ हैं.
कविता भी भावपूर्ण है.
बेहद खूबसूरत नेह निमंत्रण..
'चंदा की और तकती युवती की तस्वीर
बहुत अच्छी लगी.
आभार.
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
लाजवाब रचना ..!!
झाँक के मेरी आँखों मे
ReplyDeleteएक पल में सदियाँ जी जाना.
बहुत अच्छी रचना है . आपको बधाई.
सुन्दर लिखा है आपने अच्छी रचना
ReplyDeleteझाँक के मेरी आँखों मे
ReplyDeleteएक पल में सदियाँ जी जाना
लाजवाब!!!!!
बहुत अच्छी !
& The Picture is saying everything.
Rakesh Kaushik
सुन्दर और मनमोहक रचना. आभार.
ReplyDeleteचंदा की थाली निखरी हो
ReplyDeleteतारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये...
Sundar!
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
बेहद प्रशंसनीय रचना ऐसी रचनाएँ कम होती हैं...
मीत
बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteकभी हमारे ब्लॉग पर आइये सीमा जी
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
wah! bahut hi khoobsoorat lines....
laajawaab kavita......
thnx for sharing......
A++++++++++++++++
मन मोहक पंक्तियाँ.......बधाई!
ReplyDeletePrem ras se saraabor karte hai ue kavita.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Seema ji,
ReplyDeletethis is an outstanding work of words...
aakhri lines to amazing hai....ek pal me sadiyan ji jaana..
waah ji waah .
regards,
vijay
pls read my 100th post .
www.poemsofvijay.blogspot.com
एक लंबे अरसे बाद अच्छी सी और सच्ची सी रचना पढ़ने को मिली, सीमा जी को धन्यवाद
ReplyDeleteसूरज,पवन,चंदा,नभ,तारे और बादल अपनी विशेष और सामान्य क्रियाओं से प्रेयषी को प्रेरित कर देते हैं की वह निम्न पंक्तियों से अपने प्रिय को एक पल में सदियाँ जीने की प्रेरणा दे देती है Art of living का ऐसा अनूठा और चमत्कारिक उपाय बताती ये पंक्तियाँ न केवल ब्लॉग जगत में सराहना पा रहीं है अपितु रचनाकार को पूरे साहित्यजगत में एक अनुपम छवि के साथ चिन्हीत कर देती है ......
ReplyDelete" एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना "
... सादर...
बहुत सुंदर कविता के लिये आप का सुंदर सा धन्यवाद
ReplyDeleteलीजिए हम आज आपको नज़र लगाए देते हैं। हा हा।
ReplyDeleteअब ऐसी सुन्दर कविता लिखेंगी तो ये तो होगा ही।
बहुत उम्दा सीमाजी बहुत बेहतर।
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
--वाह!! आह!! सुन्दर कोमल रचना!!
" mai jab bhee akelee hotee hun,
ReplyDeletetum chupke se aa jate ho,
aur jhaan ke meree aakhon me beete din yaad dilate ho.."
Aapkee ye nazm is takkarkee hai...waise to sabhee ekse badhar ek hain!
Ek safar nama jaree hai,' bikhare sitare' is blog pe...safar me shamil ho aur rahnumayee karen ye iltija hai!
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
लाजवाब!
तुम चुपके से आ जाना, क्या बात है सीमाजी. कविता बहुत ही सुन्दर मन को भा जानेवाली है. आज ब्लॉग जगत में टहल रहा था किसी चौराहे पर आपके ब्लॉग से मुलाकात हो गई"कुछ लम्हे." बहुतही अच्छा लगा.
ReplyDeleteकरवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete----------
बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
इस से सुन्दर स्नेह निमन्त्रन क्या हो सकता है शुभकामनायें
तुम चुपके से आ जाना
ReplyDeleteझाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना.......
बहुत ही आकर्षक ........ मौन आमंत्रण ............ निर्मल और उन्मुक्त भाव से लिखी रचना .......... बहुत ही कशिश है इस रचना में ........ कमाल का लिखा है .......
Apke likhne ka andaaj nirala hai Aur tasviron ka sanyojan to kamal ka hai.bahut khub seema zee
ReplyDeleteचोखट की सांकल खामोशी से
ReplyDeleteनिंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
seema ji adbhut
wah
kya bimb bana hai ....chokhat ki saankal ...khamosi se nidiya ki aagosh mein alsaye....waha wah ....wakai bahut hi umda rachna hue hai aapse aapko badhai ...
माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
ReplyDeleteक्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?
bahut sundar
ReplyDeleteमै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
बहुत ही मनमोहक आमंत्रण ...सुंदर अभिव्यक्ति
सूरज जब मद्धम पड़ जाये
ReplyDeleteऔर नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
सीमा जी,
बहुत ही खूबसूरत पन्क्तियां। हृदयस्पर्शी तो हैं ही---प्रकृति के प्रति आपके लगाव को भी दर्शाती हैं।
शुभकमनायें।
हेमन्त कुमार
बेहतरीन.... वैसे भी विरह, वेदना और श्रंगार मिल कर अतुलनीय हो जाते हैं..... वाह..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव हैं। और हाँ, आज फिर कहूंगा कि आप कविता के साथ जो चित्र लगाती हैं, उससे कविता का महत्व और बढ जाता है।
ReplyDelete----------
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मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
ReplyDeleteतुम चुपके से आ जाना
SUNDAR..ATISUNDAR ABHIVYAKTI...
Happy Diwali
ReplyDeleteतेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
झाँक के मेरी आँखों मे
ReplyDeleteएक पल में सदियाँ जी जाना
ताऊ की पहेली जीतने की भी बधाई
बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.
दीपावली पर्व की आपको एवं समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं वैभव लक्ष्मी आप सभी पर कृपा बरसाएं। लक्ष्मी माता अपना आर्शिवाद बरसाएं
ReplyDeleteबहुत प्राचीन भाव पर नई रचना ।
ReplyDeletetadapti jaagti aankhon nay sapna paa liya
ReplyDeletehamne samjha hamne dil samjha liya.............
Deewali mubarak.....raat bhar yaadon kay deep jaltay rahe ....
mome kee tarah dil bhee pighaltay rahay..............
yaadon kay toofaan chaltay rahe
ladkhadatay rahe hum sambhaltay rahe
tum chupke se aajana...dil ko chhu gai...mere blog pe aapka swagat hai ...
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