12/28/2009

"ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं"


"ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं"

रात के पहरों की सोगातें चुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
करवट करवट रूह तडपती,
दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं

छत पर सरकते धुंधले साये
अनबुझ आक्रति का आभास दिलाये
भय के तीखे भालो की पद्चापे सुनती हुं
उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं


39 comments:

  1. बहुत सुन्दर.

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  2. घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
    करवट करवट रूह तडपती,
    दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
    उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं ....

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ ..... बेहतरीन कविता ...... आपकी यह कविता दिल को छू गई...


    Regards.....

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  3. और विस्तार दें प्लीज -बस इत्ता सा पढ़कर तो ऐसा लगा की अमृत प्याले को मुंह से लगाकर छीन लिया गया हो !

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  4. घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
    करवट करवट रूह तडपती,
    दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
    उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं


    वाह बहुत ही लाजवाब रचना है. शुभकामनाएं. और नये साल की रामराम.

    रामराम.

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  5. बहुत सुन्दर सीमाजी बहुत भावपूर्ण रचना है । बधाई और नव वर्ष की शुभकामनायें ।
    http://sudhinama.blogspot.com

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  6. बहुत दिनों बाद एक उत्तम रचना के साथ आपसे मिलना अच्छा लगा. नव वर्ष की शुभकामनायें ।

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  7. छत पर सरकते धुंधले साये
    अनबुझ आक्रति का आभास दिलाये ...

    अक्सर जब धुंधले साए जेहन में उतरते हैं ..... अंजाने ख्वाब दिल में उतरते हैं ...........
    बहुत दिनो बाद आपकी बेहद बेहतरीन लेखनी से कुछ निकला है ........ लाजवाब लिखा है ........
    आपको नया साल बहुत बहुत मुबारक .......

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  8. lady Galib u have done again. Jis thrah Tendulkar se har baar ek nai uchayee ko chune chahat parshashanko ko rehti hai vahi chahat mujhe aap se bhi rehti hai. u have done it once again.

    u hav endless capacity to write n write with deep meaning.

    Lovely lovely lines.

    Thnxs for being with us through this medium.
    Have a fantastic new Year.


    Rakesh Kaushik

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  9. बहुत ही सुंदर लिखा है सीमा जी..
    एकदम अलग तरह का...
    चित्र भी बहुत सुंदर है जैसे बिलकुल आपकी रचना के ही लिए बना है.
    मीत

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  10. रात के पहरों की सोगातें चुनती हुं
    उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं

    लाजवाब प्रस्तुति । नया साल मंगलमय हो , खुशियों की सौगात लाये

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  11. दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं'
    दीवारों से गुफ्तगू की यहा दास्तान अच्छी लगी

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  12. रात के पहरों की सोगातें चुनती हुं
    उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं
    ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...आभार

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  13. ऐसा लगा कि आपने इसे कुछ अधूरा सा छोड़ दिया , सोचने को मजबूर करती खूबसूरत रचना ...
    शुभकामनायें !

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  14. socha aasha ka sangeet bajega
    dil ka koi saaj sajega
    mehfil jamegi rangon ki
    sunaharaa koi khaab majega

    ghor nirshaa ke baadal chaaye
    dil ki hasrate tod aaye
    haay viraanaa bhi kaisaa
    aalam.....? haay ....
    khaabon me bhi kya dard milega?

    barsaate jab hon khaabo ki
    dil khush, harmeet,
    aandhi jajbaaton ki
    us dhoondhlke me jab jab socha
    sote jaagte mujhe to manmeet milga

    boon rahaa khaab main bhi ab
    chhaayaa mandi ka daur hai jab
    hasrate poori hongi
    jab jeb me maal khankegaa

    suljh jaaye daur ab to
    barsaate rangeen milegi

    jeevan ka har pal bhrega asha se
    mujhe jeevan kaa aanand milega
    chhayegi khushhaali har aur
    khaabo kaa sunehara phool khilega

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  15. बहुत दिनो के बाद आप की सुंदर रचना पढने को मिली, बहुत सुंदर, तबीयत बगेरा तो सब ठीक है ना.

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  16. शब्दों के खेल से जो आप एहसासात पैदा करते हो वो वाकई कमाल की बात होती है ... बहतु पसंद आयी रचना बधाई साथ में नव वर्ष की भी ढेरो मुबारक बाद ..

    अर्श

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  17. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  18. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  19. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  20. उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं

    -आह!! वाह!!

    एक अकेली पंक्ति ही पूरी है..छा गये आप तो...बधाई!!

    सुन्दरतम!!


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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  21. एक बार फ़िर जबर्दस्त रचना। एक ही थीम पर इतनी विविधता के साथ कैसे कलम चलाती हैं आप?

    शानदार शब्द दिए हैं आपने। बधाई।

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  22. शब्द और भाव से सजी सुंदर रचना...बहुत बढ़िया लगी..बधाई!!!

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  23. शब्द और भाव से सजी सुंदर रचना...बहुत बढ़िया लगी..बधाई!!!

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  24. I really could never know that from where you collect the images in your poetry? Your words and the images mearge into each other such a way that it really becomes fascinating..
    What I can say now is - Keep it up, Keep writing, Write more and more..

    Take Care

    AMIT VERMA

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  25. घुप अँधियारा , नींद उचटती ,
    करवट करवट रूह तडपती,
    दीवारों की गुप चुप आवाजे सुनती हुं
    उलझे से ख्वाबो की बरसाते बुनती हुं

    उलझे ख़्वाबों की बरसात, टीस की मिठास, भावनात्मक और सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  26. शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  27. आदरणीय सीमाजी,
    आपकी रग रग में कविता बहती है यह परिलक्षित होता है इस अत्यंत सुन्दर भावपूर्ण कविता से।
    और आपकी तरीफ़ में हमारे पास है अल्फ़ाज़ का वही पुराना टोटा। हा हा।

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  28. वर्ष नव-हर्ष नव-उत्कर्ष नव
    -नव वर्ष, २०१० के लिए अभिमंत्रित शुभकामनाओं सहित ,
    डॉ मनोज मिश्र

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  29. इस सुन्दर रचना के लिए धन्यवाद
    नव वर्ष की शुभ कामनाएं

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  30. नववर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!

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  31. सीमा बहन, नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ! सुन्दर रचना के लिए भी बधाई !
    mobile:09709083664, 09031268604.

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  32. उलझे से ख्वाबों की बरसातें बुनना सिर्फ ओर सिर्फ एक उच्च कोटि के कवी ह्रदय का ही काम हो सकता है बहुत जटिलता भरा जीवन लिख रहे है समझना आसान नहीं .
    हम तो बस मुबारकबाद दे सकते है कृपया कबूल करें

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  33. आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  34. आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  35. आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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