12/22/2008

"फिर उसी शाख़ पर"




"फिर उसी शाख़ पर"

गीत कोई आज, यूँ ही गुनगुनाया जाए,
शब्दों को सुर-ताल से सजाया जाए
बेचैनियों को करके दफ़्न
दिल के किसी कोने में,
रागिनियों से मन को बहलाया जाए
ख़ामोशी के आग़ोश से
दामन को छुड़ा कर, ज़रा,
स्वर को अधरों से छलकाया जाए
शक्वों के मौसम को
करके रुख़सत दर से
मोहब्बत की चाँदनी में नहाया जाए
उजालों के आँचल में
सज कर सँवर कर
आईने में ख़ुद से ही शरमाया जाए
परदए-नाज़ो-अंदाज़
उनको दिखलाकर,
ख़िरामा ख़िरामा चल कर आया जाए
बर्क़ को न देकर के
ज़रा भी मोहलत,
फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए

(शक्वों = शिकायतों
ख़िरामा = आहिस्ता
बर्क़ = बिजली
नशेमन = घोंसला )

33 comments:

  1. मुझे अच्छी तरह से याद है कि आपने मेरे वर्डप्रेस ब्लॉग पर एक बार लिखा था कि मैं आपसे लिखना सीख रही हूँ लेकिन आज मुझे आभास हो रहा है कि उस रोज़ आपने मज़ाक किया था क्योंकि आप स्वयं इतना अच्छा लिख लेती हैं!

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  2. hi,

    ths is really a very good n lovely poem.

    i think it's a song itself.

    i want to hear this in your voice if it is possible.
    wonderful.

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  3. बर्क़ को न देकर के
    ज़रा भी मोहलत,
    फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए
    हर बार की तरह आपकी लेखनी ने जादू बिखेरा है

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  4. बेचैनियों को करके दफ़्न
    दिल के किसी कोने में,
    रागिनियों से मन को बहलाया जाए

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति! "ख़रामां-ख़रामां" का प्रयोग काफी अरसे बाद सुना, अच्छा लगा.

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  5. आदि से अंत तक ये रचना तिलिस्म जैसी लग रही है ! बहुत गहरी और बेमिसाल है ! जैसे तिलिस्म मे इन्सान खो जाता है वैसे ही इस रचना को पढते पढते मन इसी मे डूब जाता है ! बहुत सुन्दर्तम रचना ! बधाई !

    रामराम !

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  6. बहुत अच्छी रचना.. एकदम positive vibration आ गये!!

    बधाई!!

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  7. bahut he acchi rachna hai....suru se lekar anth tak main ek he saans main phad gaya....

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  8. Seema,
    What a wonderful poem. full with positive atittude of resolution towards serenity.
    Thanks again

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  9. शक्वों के मौसम को
    करके रुख़सत दर से
    मोहब्बत की चाँदनी में नहाया जाए

    बहुत खूब .बेहद प्यारी अभिव्यक्ति

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  10. गीत कोई आज, यूँ ही गुनगुनाया जाए,
    शब्दों को सुर-ताल से सजाया जाए

    वाह सीमा जी , बहुत खूब . वैसे एक आश्चर्यजनक बात और बता दू आज सुबह से ही मेरे मन में कुछ इस तरह के ख्याल आ रहे थे ,किंतु कोई लफ्ज़ नही मिल रहे थे और जब आप की कविता पढ़ी तो लगा की यही है वे लफ्ज़ और भाव जिनकी मुझे तलाश थी .
    स्वाति

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  11. बर्क़ को न देकर के
    ज़रा भी मोहलत,
    फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए
    कमाल है, लाजबाव कर दिया.

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  12. गीत कोई आज, यूँ ही गुनगुनाया जाए,
    शब्दों को सुर-ताल से सजाया जाए

    बहुत खूब सीमाजी. ये हुई ना बात. बहुत ही शानदार ग़ज़ल !
    और आपकी इस बात को मान कर मैं रियाज़ करने चला क्योंकि २४.१२.२००८ को उड़नतश्तरी जी के बेटे के विवाह की पूर्व संध्या पर आयोजित महफ़िल में मुझे ग़ज़ल पेश करना है, जिसमें एक आपकी ग़ज़ल भी गा रहा हूं.
    बूझियेगा तब तक, के कौन सी.
    धन्यवाद और सादर प्रणाम.

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  13. बहुत प्‍यारी कविता है।

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  14. सुन्दर। आज कागज पर नहीं, दिल पर ही गीत लिखा जाये!

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  15. एक आशावादी तरन्नुम में बंधी रचना... पसन्द आई

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  16. शब्द और चित्र दोनो मनोहारी!!!

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  17. शब्द और चित्र दोनो मनोहारी!!!

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  18. गोया की ....गजब है.....

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  19. बर्क़ को न देकर के
    ज़रा भी मोहलत,
    फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए

    बहुत खूबसुरत रचना !

    शुभकामनाएं !

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  20. वाह वाह यह हुआ न संयोग गीत ..आनदं आनदं .....बहुत अच्छा लगा !

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  21. जादु है आप की कलम मै.
    धन्यवाद

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  22. उजालों के आँचल में
    सज कर सँवर कर
    आईने में ख़ुद से ही शरमाया जाए
    परदए-नाज़ो-अंदाज़
    उनको दिखलाकर,
    ख़िरामा ख़िरामा चल कर आया जाए

    subhan allah

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  23. बहुत ही सुंदर गीत है. लगता है आपके पास कोई सॉफ्टवेर है. आभार.

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  24. फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए
    सुंदर...
    ---मीत

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  25. जैसे जहाज को पंछी
    पुनि लौट जहाज को आवै

    कवि कि पंक्तियाँ याद दिलाने का धन्यवाद

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  26. ख़िरामा ख़िरामा चल कर आया जाए
    बर्क़ को न देकर के
    ज़रा भी मोहलत,
    फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए

    great lines

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  27. aap itna accha likha kaise leti hai .. itne kam shabdo mein itni bhaavnaayen ..

    kamaal hai .


    badhai

    vijay
    poemsofvijay.blogspot.com

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  28. बेचैनियों को करके दफ़्न
    दिल के किसी कोने में,
    रागिनियों से मन को बहलाया जाए

    बर्क़ को न देकर के
    ज़रा भी मोहलत,
    फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए

    बहुत ख़ूब. वाह वाह !
    आदरणीय सीमाजी,
    मैं क़ब्ल-बहुत-क़ब्ल ही ये अर्ज़ कर चुका हूं के आप सा अदीब बमुश्किल पाया जाएगा. आपके लहजे का परचम बुलन्द हो इसी दुआ के साथ.

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  29. सुंदर लिखा है जी। हम खुद से कह रहे हैं चल यार अब तो टिपियाया जाये।

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  30. गीत कोई आज, यूँ ही गुनगुनाया जाए,
    शब्दों को सुर-ताल से सजाया जाए
    बेचैनियों को करके दफ़्न
    दिल के किसी कोने में,
    रागिनियों से मन को बहलाया जाए

    बहुत बहुत सुंदर नज्‍म है सीमा जी तहेदिल से शुक्रिया

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  31. very nice seema ji

    गीत कोई आज, यूँ ही गुनगुनाया जाए,
    शब्दों को सुर-ताल से सजाया जाए
    बेचैनियों को करके दफ़्न
    दिल के किसी कोने में,
    रागिनियों से मन को बहलाया जाए

    ish poetry ko bhi navbharat main jagha mil jaye to mujhe bahut kushi hogi ..

    or sab ki trha ye bhi bahut hi acchi hai poetry bhi

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  32. स्वर को अधरों से छलकाया जाए
    bhai wah
    khamoshiyaan kuchh is kadar badhi ki swaro kaa paimaanaa sajaane ki saajish hui
    audio visual ke jamaane me khamoshi todne ki gunjaaish bhi to kam nahin

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  33. बेचैनियों को करके दफ़्न
    दिल के किसी कोने में,
    रागिनियों से मन को बहलाया जाए

    वाह वाह बहुत से शेर बहुत सी रचनाएं पढ़ीं सभी बेहतर और आपकी लग्न भी बेहतर साज सज्जा भी उम्दा। बधाई।

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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"