

ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे,
यथार्थ को दरकिनार कर
कुछ स्वप्नों ने सांसे भरी...
छलावों की हवाएं बहती रही
बहकावे अपनी चाल चलते रहे,
कायदों को सुला , उल्लंघन ने
जाग्रत हो अंगडाई ली..
द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
संकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
ReplyDeleteसंकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..
बहुत खूबसुरती से मानविय मन को अभिव्यक्त किया आपने ! अक्सर जीवन मे ऐसा ही द्वन्द चलता रहता है !
राम राम !
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
ReplyDeleteतमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
Excellent!
द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
ReplyDeleteसंकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
bahut sunder shabad hai Seema ji
kitni comlicated bhavnao lo kitne comlicated shabdo me kitni asani se bahar nikal diya. ye to vakai kabile tareef hai.
ReplyDelete"Lady Galib" u r superb today
Rakesh Kaushik
Kalpanaon ki ek aur unchi udaan..
ReplyDeleteMe bhi saath saath uda , you are imposible...
Great Piece of Work!
सुबह-सुबह इत्ता सारा कुछ हो गया! वाह!
ReplyDeleteseema
ReplyDeleteshabd ji uthe hai aapki is nazm mein ... main kya kahun ..
subah subah itni acchi meeti rachna padne ko mili ..
badhai
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
तमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
ReplyDeletegreat composition
regards
वाह क्या बात है।
ReplyDeleteतम्मनाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..
ReplyDeleteउम्मीद कायम रहे..
बहुत खुब...
द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
ReplyDeleteसंकल्प मायाजाल में उलझते रहे
शब्दों से वो कमाल करती हैं आप की बस देखते ही बनता है...वाह.
नीरज
asmanjas ki bayaar bahi
ReplyDeleteaur tamannaye
rahi vahin ki vahin
ullaghan seema kaa jaroori tha
kayde jo na the haraane ko kahin
sunder...
ReplyDelete---meet
पूरा जीवन ही माया जाल है
ReplyDeleteद्रढ़निश्चयता का उपहास कर
ReplyDeleteसंकल्प मायाजाल में उलझते रहे,
बिलकुल ठीक कहा आपने संकल्प मायाजाल मे ही उलझ जाते है हर किसी के
द्रढ़निश्चयता का उपहास कर
ReplyDeleteसंकल्प मायाजाल में उलझते रहे
आपके शब्दों, चित्रों और अतिसुन्दर प्रस्तुतिकरण का जवाब बस आपके ही पास पाया जा सकता है. है ना ? बहुत बेह्तरीन बहुत ख़ूब सीमाजी.
ह्रदय के मानचित्र पर पल पल
ReplyDeleteतमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे...
शब्द बताओ तारीफ के लिए बस अच्छे भाव शब्दों का तालमेल बधाईयां जी तुहानूं
छलावों की हवाएं बहती रही
ReplyDeleteबहकावे अपनी चाल चलते रहे,
कायदों को सुला , उल्लंघन ने
जाग्रत हो अंगडाई ली
सुन्दर भावनाएं और उतनी ही सुन्दर शब्दावली ।
सुन्दर भावनाएं..... बेह्तरीन.
ReplyDeleteये बहोत ही बढिया प्रस्तुति आपके द्वारा ..... बहोत खूब लिखा है आपने ... ढेरो बधाई आपको....
ReplyDeleteअर्श
बेहतरीन। शब्द और चित्र संयोजन कोई आपसे सीखे।
ReplyDeleteबेहतरीन! शब्द और चित्र संयोजन कोई आप से सीखे!
ReplyDeletemaya jaal achha laga. kaas hum mayajaalon se ubar pate.
ReplyDeleteaap ka mere blog par swagat hai:
http://amitabhpriya.blogspot.com/
http://khaalipanne.blogspot.com/
सरस हिन्दी शब्द प्र्योग से कविता सुन्दर बन पड़ी है!
ReplyDeleteकायदों को सुला , उल्लंघन ने
ReplyDeleteजाग्रत हो अंगडाई ली..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
bahut achchi rachna hai
ReplyDeletesoch raha hoon ki roj-roj naye shabd kahan se laaon.
ReplyDeleteह्रदय के मानचित्र पर पल पल
ReplyDeleteतमन्नाओं के प्रतिबिम्ब उभरते रहे..
वाह क्या बात है....
सीमा जी हम सब इस माया जाल मे ही तो उलझे है...
धन्यवाद
यथार्थ को दरकिनार कर
ReplyDeleteकुछ स्वप्नों ने सांसे भरी...
छलावों की हवाएं बहती रही
बहकावे अपनी चाल चलते रहे,
bahut hi sundar likha hai Seema ji..kavita mein bhaav blo uthey hain.badhayee
ऊपर जिन्होंने भी....जितनी भी तिप्पिनीयां दीं हैं....उन्हें मेरी ही मान लें ना ....प्लीज़...मैं तो कुछ लिख ही नहीं पा रहा....सच...!!
ReplyDeletesach kaha aapne hirdiye or jiwan main isi trha ka davand chalta rehta hai..
ReplyDeletebadhiya
bahut sunder
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