12/04/2008

शब्दों की वादियाँ



"शब्दों की वादियाँ"

शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
जो सजा सके मनोभावों को,
चाहत के सुंदर साजों को,
लुकती छुपती अभिलाषा को,
नैनो मे दुबकी जिज्ञासा को,
सिमटी सकुचाई आशा को,
निश्चल प्रेम की भाषा को,
शब्दों की वादियों मे
विचरता ये मन ,
खोज रहा कुछ ऐसे कण............

32 comments:

  1. shabdo ka combination achcha hai. imagination ne sma bandh diya hai. lekin aap hamesha ye khone par hi kyon likhti hai samajh k bahar ki baat hai. lekin jitna aapki rachna ko padhta hu aur padhne ki ichcha utpann hoti jati hai.

    bahut hi achchi kavita hai..



    keep it on lady

    Rakesh Kaushik

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  2. मिल जाने पर भी मन न जाने क्या-क्या और क्यों ढूढता है. मुझे तो सब वो कुछ मिला आपकी कविता में जिसे आप ढूढ़ रही है .धन्यवाद !

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  3. लुकती छुपती अभिलाषा को,
    नैनो मे दुबकी जिज्ञासा को,
    सिमटी सकुचाई आशा को,
    निश्चल प्रेम की भाषा को,
    bahut badhiya sundar shabdonka prayog.

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  4. नैनो मे दुबकी जिज्ञासा को,
    सिमटी सकुचाई आशा को,
    निश्चल प्रेम की भाषा को,
    शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण............

    सुंदर लगी आपकी यह रचना

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  5. शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
    जो सजा सके मनोभावों को,

    काश वो शुकून मिल पाता ! ये खोज जीवन में निरंतर जारी रहती है !

    रामराम !

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  6. शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
    जो सजा सके मनोभावों को,

    काश.............
    बधाई

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  7. वैसे एक बात तो है सीमा जी आपके पास शब्‍दों का अथाह सागर होने के साथ उनमें अथाह फोटो बढिया तरह के भी सम्मिलित हैं

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  8. बहुत ख़ूब सीमाजी,
    शब्दों और मनोभावों का अद्वितीय संगम और चित्रण आपसे बेहतर कहाँ मिलेगा ?

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  9. सिमटी सकुचाई आशा को,
    निश्चल प्रेम की भाषा को,
    शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण............

    bahut khoobsurt bayaanee hai...seema ji

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  10. शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण,
    जो सजा सके मनोभावों को,
    bahut sundar bhaav seemaji . shabdo ki jadoogiri or chiro ka samavesh karana to koi apse seekhe.
    umda.

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  11. सच में मन मोह लिया है
    आपकी इस मोहक रचना ने
    शब्‍द संयोजन बेहद गजब का है
    इसका एहसास अजब सा है

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  12. शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण
    निश्चल प्रेम की भाषा को,
    सुंदर...



    ---मीत

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  13. मुझे भी लगता है कि शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं। अन्यथा भाव अभिव्यक्त करना बहुत दुरुह होता।

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  14. सीमा जी, .....................
    बहुत आवारा है मेरा मन और भूल जाता है हवाओं में घटाओं में कभी जज़्बात की बाँहों में ....और नए नए सपने तराशने लगता है...

    शब्दों का सफर आपका बहुत प्यारा है. उसमें शिद्दत का जो अहसास आप जीती हैं, वे बिरले दिलवाले ही महसूस कर सकते हैं. आपके ख्यालात रूमामी हैं पर उनमें हकीकत का आसमां दिखता है. मैं कभी-कभी आपको पढ़कर खुद से शेर-ओ-शायरी करने लगता हूं.

    आपके लिए.............दो लाइनें

    किससे करें शिकायत जो छत से गिर पड़े
    हमने ही तो उड़ाई थी पतंग-ए-शौकिया



    फुरसत मिले तो बताइएगा, गुस्ताख को माफ करते हुए..............

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  15. वाह और सिर्फ वाह के सिवा कुछ नहीं कहूंगा.

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  16. kan _ kshan hota to?
    man _ jiska or hai na chhor.
    chaahat, abhilaashaa, jigyaasaa, aashaa,ke sath gar ehsaas aur maksad bhi hotaa kash?
    prem ki bhashaa liye vichartaa yah man kuchh pal kahin thahar jo jataa?
    sundartaa ke liye jaroorat thi ehsaas ki,
    par maksad achaanak hi vyakt ho gayaa.

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  17. बहोत खूब ,बहोत ही बढ़िया कविता लिखी है आपने, मैं भी कुछ ऐसी ही शब्दों की वादिओं में बिचरण कर रहा हूँ... ढेरो बधाई आपको ..........

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  18. Seema ji,
    Shabdon Kee Vadiyan...bahut hi bhavpoorna kavita likhi ha.
    Meree hardik badhai.
    Poonam

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  19. ख़्याल बहुत उम्दा है!

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  20. बहुत ही सुंदरता से सजाया है आप ने अपने जजबातो को.
    धन्यवाद

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  21. BAHUT DINON KE BAAD EK ACHCHHEE
    KAVITA PADHEE HAI.KISEE CHHAND-
    BAHAR MEIN N HOTE BHEE SARITA KAA
    PRAVAH HAI US MEIN.MEREE DAAD
    SVEEKAAR KAREN.

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  22. सुन्दर! मिले शब्द!

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  23. सही कहा-
    निश्चल प्रेम की भाषा को,
    शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण............

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  24. " आप सभी के आशीर्वाद और प्रोत्साहन का शुक्रिया"

    Regards

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  25. शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण ,
    जो सजा सके मनोभावों को

    आप तो वैसे ही शब्दों और मनोभावों की धनी मालूम होती हैं। आपी खोज कुछ गले नहीं उतरती। लेकिन हां मानती हूं...कई कई बार भावों को गूंथने के लिए शब्दों का चयन आसान नहीं रहता।

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  26. rangkarmi par comment hai.late aaya sab kuchh sabhee ne read kar liya.

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  27. खोजते-खोजते मिल ही जाते हैं अक्सर...प्यारे-प्यारे ऐसे ही दुर्लभ और अनमोल क्षण... और भीग जाता है पुलकित होकर अपना मन....!!

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  28. बहुत अच्छी रचना है आपकी । भाव की प्रखर अिभव्यिक्त है ।

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  29. शब्दों की वादियों मे
    विचरता ये मन ,
    खोज रहा कुछ ऐसे कण

    इस खोज का नाम ही जीवन है शायद.

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  30. sabdo ki vadiya,

    wah kiya kuhb likha hai , kiya naam diya hai sach main is too good....



    ek bar firse dhero badhiya

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  31. In the Valley of words
    These swirling mind,Looking for some particles which can express with dignitybeautiful anthem of love, Hidden ambition of life
    Suppressed curiosity in the eyes
    Static language of silence,
    In terms of the litigantsThese swirling mind, Looking for ......
    .....( courtsy: seema gupta)
    aapke shabdon ka anuvaad aap hi ki kalam jyada prabhavi kar sakti hai,dvi rangi fizan ka ltf hum lena kyun chhode.....u r really a rocking writer

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"Each words of yours are preceious and valuable assets for me"