9/24/2008

"पहचान"



"पहचान"

नाम से हुई पहचान हमारी ,
या हमसे नाम का उन्वान हुआ,
बडी पशोपेश मे रही जिन्दगी,
क्या आगाज़ हुआ और,
क्या अंजाम हुआ ???


http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_29.html

30 comments:

  1. वाह बहुत भावपूर्ण !
    ये मेहंदी हसन की गाई गजल का ये शेर भी तो देखिये -
    उनके नाम से ही ताबिंदा है मेरा उन्वाने हयात
    वरना कुछ न था बाकी मेरे अफ़साने में

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  2. it's really a puzzle , n complicated but u handle it very well with emotions.

    Rakesh Kaushik

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  3. नाम से हुई पहचान हमारी ,
    या हमसे नाम का उन्वान हुआ,

    बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...बधाई...

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  4. क्या आगाज़ हुआ और,
    क्या अंजाम हुआ ???
    बहुत खूब .चंद शब्दों में सुंदर बात कही आपने

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  5. बहुत खूब। शब्‍द और चित्र दोनों सुंदर हैं।

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  6. क्या आगाज़ हुआ और,
    क्या अंजाम हुआ ???

    क्या बात है??
    जबरदस्त...
    touch my heart...

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  7. बेहतरीन ! शुभकामनाएं !

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  8. sundar bhav hai bahot hi sundar likha hai aapne seema ji.badhai


    regards
    Arsh

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  9. अति सुंदर !

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  10. बहुत ही सुंदर शब्‍दों में सवाल दागा है सीमा जी बधाई

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  11. bahut khoob..arvind ji tarah mere bhi dimag me ye sher aaya tha.

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  12. पहचान एक बड़ा ही विवादास्पद विषय है आज यही पहचान
    तो खो रही है हम सब की ....नाम से कोई खास पहचान नहीं होती मशहूर अंग्रेज नाटककार विलियम शेक्सपियर ने तो यंहा तक कहा था -whats there is name? ना जाने कितनो के नाम सीमा होंगे मगर आप की जो पहचान है वह आपके काम से है ...आज आप सीमा होते हुए भी असीम हों ...आपके फन ने आप को जो पहचान दिलाई है उसने आपको अनेकों नाम अनेकों विशेषण दे डाले है ..कुछ कहावतें ये भी है "नाम बड़े और दर्शन छोटे " और "आँख के अंधे नाम नयनसुख "
    इसलिए
    नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा ,मेरी आवाज़ ही पहचान है .........
    कशमकश से बाहर आइये और देखिये अच्छे काम हों तो नाम भी तरस जाते है की काश हम अमुक आदमी के नाम होते ....
    बहुत ही अच्छी शायरी लिखी है बधाइयाँ !

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  13. नाम से नहीं पहचान आपकी
    काम की बात तो काम से होती है
    है नाम से बढ़ कर काम आपका
    मुक्कमल ज़िन्दगी अंजाम से होती है
    शब्दों से सजा देते हों कायनात को आप
    रोशन मेरी सुबह आपके कलाम से होती है

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  14. क्या बात हे दो शव्दो को घुमा फ़िरा कर एक खुब्सुरत बात कहना कोई आप से सीखे,
    धन्यवाद

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  15. दो अल्फाज में बयान-ए-जिंदगी, बहुत खूब।

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  16. सुन्दर भाव प्रस्तुति। बधाई। रिजवाँ वास्ती साहब की दो पंक्तियाँ आपके लिए-

    पहले ये ख्वाहिश थी कि लोग हमे पहचाने बहुत।
    अब ये शिकवा है कि हम इतने पहचाने क्यों गए।।

    सादर
    श्यामल सुमन

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  17. बहुत खूब .चंद शब्दों में सुंदर बात कही आपने

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  18. Ye nam hi to hai.., Jo hame.n Badnam nahi hone deti....

    Seema Ji.., Badhai

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  19. Ye nam hi to hai.., Jo hame.n Badnam nahi hone deti....

    Seema Ji.., Badhai

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  20. anjam bahut achcha hua hoga,
    kyonki aapki bhavnayen bahut achchi hai...

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  21. नाम से हुई पहचान हमारी ,
    या हमसे नाम का उन्वान हुआ,
    बडी पशोपेश मे रही जिन्दगी,
    क्या आगाज़ हुआ और,
    क्या अंजाम हुआ ???
    लाज़बाब सीमा जी अत्यन्त सुंदर पंक्तिया गहरी भाव पूर्ण बात शुक्रिया मेहरबानी
    नैनो की विदाई नामक मेरी नई रचना पढने हेतु आपको सादर आमंत्रण है .आपके आगमन हेतु धन्यबाद नियमित आगमन बनाए रखें

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  22. humari pehchan humare kaam se or humare viyavhar se hoti hai isliye main yahi kahunga ki hum sabko apni pehchan ko banaye rakhne ke liye puri imandari rakhni chhiye.

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